युगांडा ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत वह उन निर्वासित प्रवासियों की अस्थायी रूप से मेजबानी करेगा जिन्हें तीसरे देशों से अमेरिका में शरण नहीं मिली है और जो अपने मूल देशों में लौटने से इनकार करते हैं। इस समझौते में आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्तियों और अकेले आए नाबालिगों को बाहर रखा गया है, और युगांडा ने अफ्रीकी मूल के प्रवासियों को प्राथमिकता देने की इच्छा व्यक्त की है। इस व्यवस्था के तहत पहले ही विभिन्न देशों के पांच प्रवासियों को युगांडा भेजा जा चुका है।
यह कदम अमेरिकी आव्रजन नीतियों के व्यापक संदर्भ में उठाया गया है, जिसका उद्देश्य प्रवासियों के प्रवाह को प्रबंधित करना है। युगांडा अफ्रीका में सबसे बड़ा शरणार्थी-मेजबान देश है, जो वर्तमान में लगभग 1.93 मिलियन शरणार्थियों का घर है, जिनमें से अधिकांश दक्षिण सूडान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अन्य पड़ोसी देशों से आए हैं। देश की शरणार्थी नीति को प्रगतिशील माना जाता है, जो शरणार्थियों को काम करने और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंचने की अनुमति देती है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने 2025 के सितंबर तक आपातकालीन धन समाप्त होने की चेतावनी दी है, जिससे प्रति शरणार्थी सहायता राशि में भारी कमी आ सकती है। इस कमी से भोजन, आश्रय और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी आवश्यक सेवाओं पर असर पड़ेगा, जिससे पहले से ही कमजोर शरणार्थी आबादी के बीच कुपोषण और यौन हिंसा जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। यह स्थिति युगांडा पर पहले से ही मौजूद संसाधनों के दबाव को और बढ़ाती है।
मानवाधिकारों के दृष्टिकोण से, यह समझौता कई चिंताएं पैदा करता है। अमेरिकी विदेश विभाग ने युगांडा के मानवाधिकारों के रिकॉर्ड पर प्रकाश डाला है, जिसमें विशेष रूप से LGBTQ+ समुदाय के खिलाफ इसके कठोर कानून शामिल हैं। 2023 में पारित "समलैंगिकता विरोधी अधिनियम" ने गंभीर दंडों का प्रावधान किया है, जिसमें "गंभीर समलैंगिकता" के लिए मृत्युदंड भी शामिल है। ह्यूमन राइट्स वॉच और संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने इस कानून के लागू होने के बाद से LGBTQ+ व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा में वृद्धि की रिपोर्ट दी है। यह स्थिति उन प्रवासियों के कल्याण और अधिकारों के बारे में सवाल उठाती है जिन्हें युगांडा भेजा जा सकता है, खासकर यदि वे स्वयं LGBTQ+ समुदाय से संबंधित हों।
यह समझौता अमेरिकी प्रशासन की उन प्रवासियों को तीसरे देशों में भेजने की नीति का हिस्सा है जो अमेरिका में शरण पाने में असफल रहते हैं और अपने देश वापस नहीं जाना चाहते। युगांडा का यह कदम, जो अपनी मानवतावादी प्रतिबद्धताओं के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया है, वैश्विक प्रवासन की जटिलताओं और मेजबान देशों पर पड़ने वाले दबावों को दर्शाता है। यह एक ऐसा परिदृश्य प्रस्तुत करता है जहाँ विभिन्न देशों को मिलकर प्रवासन की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, साथ ही मानवाधिकारों और स्थानीय समुदायों की क्षमता का भी ध्यान रखना होता है।