2 अक्टूबर 2025 की शाम को म्यूनिख हवाई अड्डे पर उस समय अफरातफरी मच गई जब हवाई क्षेत्र के पास कई ड्रोन देखे गए। इस घटना के कारण हवाई अड्डे के संचालन को तुरंत निलंबित कर दिया गया, जिससे लगभग 3,000 यात्रियों की यात्रा प्रभावित हुई और 17 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। 15 अन्य उड़ानों को स्टटगार्ट, नूर्नबर्ग, वियना और फ्रैंकफर्ट जैसे हवाई अड्डों पर पुनर्निर्देशित किया गया। हवाई अड्डे पर फंसे यात्रियों के लिए कैंप बेड, कंबल और भोजन की व्यवस्था की गई।
यह घटना यूरोपीय विमानन के लिए एक बढ़ती चिंता का संकेत है, क्योंकि इसी तरह की ड्रोन संबंधी घटनाओं ने हाल ही में डेनमार्क और नॉर्वे के हवाई अड्डों पर भी परिचालन बाधित किया था। इन घटनाओं ने यूरोपीय संघ (ईयू) के भीतर ड्रोन रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता पर फिर से प्रकाश डाला है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने यूरोप के पूर्वी हिस्से की सुरक्षा के लिए 'ड्रोन वॉल' बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह एक व्यापक रक्षा प्रणाली होगी जिसमें रडार और ध्वनिक सेंसर जैसे विभिन्न प्रणालियों को जोड़ा जाएगा, ताकि ड्रोन खतरों का एक समन्वित तरीके से सामना किया जा सके। हालांकि, इस प्रस्ताव पर यूरोपीय देशों के बीच अलग-अलग विचार हैं, कुछ देश इसे पूर्वी सीमा तक सीमित रखने के पक्ष में हैं, जबकि अन्य इसे पूरे महाद्वीप के लिए एक ढाल के रूप में देखते हैं।
इस बीच, डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने सुझाव दिया है कि डेनमार्क के हवाई अड्डों पर हालिया ड्रोन व्यवधानों के लिए रूस जिम्मेदार हो सकता है। उन्होंने यूरोप को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे कठिन और खतरनाक स्थिति का सामना करने की चेतावनी दी है। दूसरी ओर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इन आरोपों का खंडन किया है और मजाक में कहा है कि वह अब डेनमार्क पर ड्रोन नहीं भेजेंगे और कहा कि रूस के पास लिस्बन तक पहुंचने में सक्षम ड्रोन नहीं हैं। रूसी दूतावास ने मास्को की संलिप्तता को "बेतुकी अटकलें" करार दिया है।
म्यूनिख हवाई अड्डे पर हुई यह घटना सुरक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता और हवाई अड्डों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए नवीन समाधानों की आवश्यकता को रेखांकित करती है। यूरोपीय संघ इस उभरते खतरे से निपटने के लिए अपनी रक्षा प्रणालियों को मजबूत करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। जर्मनी के अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक ड्रोन के स्रोत या उद्देश्य के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे आधुनिक तकनीकें अप्रत्याशित चुनौतियाँ पेश कर सकती हैं, और कैसे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य लगातार विकसित हो रहा है।