2 सितंबर, 2025 को, अमेरिकी नौसेना ने कैरिबियन सागर के दक्षिणी हिस्से में एक वेनेज़ुएला के जहाज पर हवाई हमला किया, जिससे जहाज डूब गया और कथित तौर पर 'ट्रेन डी अरगुआ' नामक आपराधिक समूह से जुड़े 11 लोगों की मौत हो गई। यह घटना अमेरिका और वेनेज़ुएला के बीच बढ़ते तनाव का हिस्सा है, जिसमें अमेरिका ने ड्रग तस्करी के खिलाफ अपनी लड़ाई तेज कर दी है।
यह हमला अमेरिकी प्रशासन के लैटिन अमेरिका में ड्रग तस्करी के खिलाफ चल रहे प्रयासों के तहत हुआ है। जुलाई 2025 में, अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 'कार्टेल डी लॉस सोल्स' को एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया था, जिसका नेतृत्व कथित तौर पर वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मदुरो कर रहे हैं। इस कार्रवाई ने दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है।
वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मदुरो ने इस अमेरिकी नौसैनिक तैनाती को अपने देश में शासन परिवर्तन की कोशिश करार दिया है। उन्होंने इस सैन्य उपस्थिति को एक सदी का सबसे बड़ा खतरा बताते हुए वेनेज़ुएला की सेना को लामबंद करने का आदेश दिया है। वेनेज़ुएला ने 4.5 मिलियन से अधिक मिलिशिया सदस्यों को सक्रिय किया है, जो देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार हैं।
इस घटना पर क्षेत्रीय देशों की प्रतिक्रियाएं मिश्रित हैं। कोलंबिया और त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देश ड्रग तस्करी पर चिंताओं के कारण अमेरिकी तैनाती का समर्थन कर रहे हैं। वहीं, मेक्सिको ने विदेशी हस्तक्षेप के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने कहा है कि इस तरह के ऑपरेशन जारी रहेंगे और ड्रग तस्करी में शामिल किसी भी नामित नार्को-आतंकवादी को इसी तरह के परिणाम भुगतने होंगे। यह घटना लैटिन अमेरिका में अमेरिका की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और ड्रग तस्करी के खिलाफ उसकी आक्रामक रणनीति को दर्शाती है।
इस बीच, भू-राजनीतिक अस्थिरता के प्रति एक बचाव के रूप में सोने की कीमत बढ़कर 3,300 डॉलर प्रति औंस हो गई है। यह स्थिति क्षेत्रीय सुरक्षा और अमेरिका-वेनेज़ुएला संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है, और इसके आगे बढ़ने वाले प्रभावों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी।