संयुक्त राज्य अमेरिका के गृहभूमि सुरक्षा विभाग (DHS) ने वेनेजुएला के नागरिकों के लिए अस्थायी संरक्षित स्थिति (TPS) को समाप्त करने की घोषणा की है, जो 10 सितंबर, 2025 से प्रभावी होगा। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब एक संघीय अपीलीय अदालत ने पहले के एक फैसले में ट्रम्प प्रशासन द्वारा पिछले साल की गई समाप्ति को अवैध बताया था। DHS सचिव क्रिस्टी नोएम ने इस कदम को राष्ट्रीय हित में बताया है, जिसमें सार्वजनिक सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रवासन कारक, आव्रजन नीति, आर्थिक विचार और विदेश नीति जैसे कारणों का हवाला दिया गया है।
इस निर्णय से अमेरिका में रहने वाले 256,000 से अधिक वेनेजुएलाई नागरिकों के जीवन पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि उनकी कानूनी स्थिति, काम करने की अनुमति और निर्वासन से सुरक्षा प्रभावित होगी। DHS के प्रवक्ता मैथ्यू ट्रेसेजर ने कहा कि वेनेजुएला के नागरिकों के लिए TPS कार्यक्रम "अनियमित प्रवासन" के लिए एक "चुंबक" के रूप में कार्य कर रहा था और इसे बनाए रखना या विस्तारित करना देश की दक्षिणी सीमा को सुरक्षित करने और प्रवासन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के प्रयासों को कमजोर करता है।
यह घोषणा 29 अगस्त, 2025 को 9वें सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स के एक फैसले के बाद आई है, जिसने माना था कि ट्रम्प प्रशासन ने लगभग 600,000 वेनेजुएलाई लोगों के लिए TPS को रद्द करके संभवतः अवैध रूप से काम किया था। अदालत ने पाया कि DHS सचिव नोएम के पास TPS विस्तार को रद्द करने का अधिकार नहीं था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के एक पिछले आदेश के कारण, यह निर्णय अभी भी लंबित अपीलों के अधीन है।
इस बीच, प्रभावित वेनेजुएलाई नागरिकों को स्व-निर्वासन की सुविधा के लिए CBP होम ऐप का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसमें हवाई टिकट और निकास बोनस जैसे प्रोत्साहन शामिल हैं। यह कदम उन लोगों के लिए अनिश्चितता पैदा करता है जो पहले से ही अपने देश में गंभीर मानवीय संकट और दमनकारी शासन का सामना कर रहे हैं। कई अधिवक्ताओं और नेताओं ने इस निर्णय पर निराशा व्यक्त की है, यह कहते हुए कि यह करुणा और न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
यह स्थिति आव्रजन नीति और कार्यकारी शाखा के अधिकार के आसपास चल रही कानूनी और राजनीतिक बहसों को उजागर करती है। जबकि DHS का तर्क है कि TPS का अंत राष्ट्रीय हित में है, अदालती फैसले और सामुदायिक प्रतिक्रियाएं इस निर्णय के मानवीय और कानूनी पहलुओं पर सवाल उठाती हैं। यह देखना बाकी है कि आगे की कानूनी चुनौतियां इस स्थिति को कैसे प्रभावित करेंगी।