जर्मनी ने शरणार्थी कानूनों में महत्वपूर्ण सुधारों का प्रस्ताव दिया है, जिसका उद्देश्य अनियमित प्रवासन को नियंत्रित करना और अस्वीकृत शरण चाहने वालों की वापसी की प्रक्रिया को तेज करना है। ये प्रस्तावित बदलाव, जो शरद ऋतु 2026 तक लागू होने की उम्मीद है, शरणार्थियों की संख्या को सीमित करने और उन लोगों की वापसी को सुगम बनाने पर केंद्रित हैं जिनके शरण आवेदनों को अस्वीकार कर दिया गया है। जर्मनी के आंतरिक मंत्री ने इन कानूनी परिवर्तनों को "एक बड़ा कदम" बताया है, और यह भी संकेत दिया है कि यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश भी अस्वीकृत शरण चाहने वालों के खिलाफ "अधिक सख्त और गंभीर" उपायों का लक्ष्य रख रहे हैं।
यह कदम यूरोपीय संघ के प्रवासन और शरण पर नए समझौते के अनुरूप है, जिसे दिसंबर 2023 में यूरोपीय संसद और परिषद के बीच सहमति दी गई थी और अप्रैल-मई 2024 में अपनाया गया था। यह समझौता सदस्य देशों के बीच अधिक समान रूप से प्रवासियों की मेजबानी के लागत और प्रयासों को साझा करने के लिए बाध्य करेगा। इन सुधारों का उद्देश्य प्रवासन को नियंत्रित करना और शरण प्रक्रियाओं को तेज करना है।
हालांकि, इन प्रस्तावित सुधारों को मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। प्रो-एसिल (Pro Asyl) जैसे संगठनों ने चेतावनी दी है कि प्रस्तावित स्वागत केंद्र "नजरबंदी केंद्रों" के रूप में कार्य करेंगे, जो शरणार्थियों को अलग-थलग और हाशिए पर डाल देंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि बच्चों को ऐसी सुविधाओं से बाहर रखा जाना चाहिए और उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए। आंकड़ों के अनुसार, 2024 की शुरुआत में यूरोपीय संघ में शरण आवेदनों की संख्या में कमी देखी गई, जिसमें सीरियाई आवेदकों की संख्या में तेज गिरावट आई। मई 2025 तक, जर्मनी में शरण आवेदनों की संख्या में 47% की गिरावट आई, जबकि स्पेन, इटली और फ्रांस जैसे देशों में अधिक आवेदन प्राप्त हुए।
जर्मनी के पूर्व संघीय संवैधानिक न्यायालय के अध्यक्ष, हंस-जर्गेन पपीर, ने भी यूरोपीय शरण ढांचे में मौलिक सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है, यह चेतावनी देते हुए कि वर्तमान नियम "अनियंत्रित और बिना शर्त आप्रवासन" की अनुमति देते हैं और सार्वजनिक विश्वास को कम करते हैं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक शरण वीजा और सहायक सुरक्षा पर वार्षिक सीमाएं लगाने जैसे उपायों का प्रस्ताव दिया है। यह कदम जर्मनी के प्रवासन नीति में एक व्यापक यूरोपीय प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहां देश प्रवासी प्रवाह को प्रबंधित करने और शरण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के तरीके खोज रहे हैं।