28 सितंबर, 2025 को, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान पर प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया। यह कदम ईरान द्वारा संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) की समाप्ति और परमाणु प्रतिबद्धताओं के अनुपालन में विफलता के बाद उठाया गया। इन प्रतिबंधों में संपत्ति फ्रीज, हथियारों और मिसाइलों पर प्रतिबंध, और ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों पर रोक शामिल है। ये प्रतिबंध, जो 2015 के समझौते के तहत हटा दिए गए थे, अब फिर से लागू हो गए हैं।
यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और जर्मनी (E3) ने अगस्त 2025 में ईरान द्वारा JCPOA के उल्लंघन का हवाला देते हुए "स्नैपबैक" तंत्र को सक्रिय किया था। कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इन प्रतिबंधों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने में विफल रही, जिसके परिणामस्वरूप वे स्वतः बहाल हो गए। E3 देशों ने ईरान के यूरेनियम संवर्धन को IAEA की सीमा से अधिक बढ़ाने, पारदर्शिता की कमी और IAEA के परमाणु स्थलों तक पहुंच खोने का हवाला दिया। IAEA की 4 सितंबर, 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के पास JCPOA की सीमा से 48 गुना अधिक संवर्धित यूरेनियम का भंडार है, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने इन प्रतिबंधों को "अन्यायपूर्ण और कानूनी आधारहीन" बताते हुए इसकी निंदा की है। उन्होंने कहा कि ईरान अपने राष्ट्रीय अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए उचित प्रतिक्रिया देगा। ईरान ने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी से अपने राजदूतों को परामर्श के लिए वापस बुला लिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ईरान के परमाणु गतिविधियों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया है और कहा है कि यदि कोई समझौता नहीं होता है तो प्रतिबंधों को लागू किया जाना चाहिए। रुबियो ने E3 के प्रयासों की सराहना की और कहा कि अमेरिका ईरान के साथ सीधी बातचीत के लिए तैयार है ताकि परमाणु मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके।
इन प्रतिबंधों का ईरान की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जो पहले से ही मुद्रा के अवमूल्यन और बढ़ती महंगाई से जूझ रही है। संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को अंतरराष्ट्रीय वैधता प्राप्त है, जो वैश्विक अनुपालन को मजबूर करेगा। यह स्थिति मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा सकती है, खासकर इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ। ईरान ने बार-बार कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन पश्चिमी देश और IAEA को संदेह है कि उसने 2003 तक हथियार-ग्रेड सामग्री विकसित करने का प्रयास किया था। ईरान के पास वर्तमान में 60% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धित है, जो हथियार-ग्रेड के करीब है। यह घटनाक्रम JCPOA की समाप्ति की ओर इशारा करता है, जो 18 अक्टूबर, 2025 को समाप्त होने वाला था। सुरक्षा परिषद ने इस समझौते को छह महीने के लिए बढ़ाने के चीन और रूस के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया, जिससे प्रतिबंधों की बहाली का मार्ग प्रशस्त हुआ। यह स्थिति ईरान के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो कूटनीतिक समाधान और अपनी संप्रभुता की रक्षा के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है।