क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित 66वें अंतर्राष्ट्रीय गणित ओलंपियाड (IMO) में पहली बार, एआई मॉडल ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता में 112 देशों के छात्रों ने छह चुनौतीपूर्ण गणितीय समस्याओं को हल किया। ओपनएआई और गूगल डीपमाइंड के अल्फाज्यामिति2 के प्रायोगिक मॉडल ने प्रभावशाली परिणाम प्राप्त किए, पांच में से छह समस्याओं को हल करके स्वर्ण पदक के बराबर अंक प्राप्त किए।
इस घटनाक्रम ने एआई की क्षमता पर सामाजिक और शैक्षिक दृष्टिकोण से कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषकर, यह प्रश्न उठता है कि इस प्रकार की प्रतिस्पर्धाओं में एआई की भागीदारी से युवा छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। क्या यह उन्हें प्रेरित करेगा कि वे और भी अधिक मेहनत करें, या क्या यह उन्हें यह महसूस कराएगा कि वे मशीनों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते?
भारत में, जहाँ गणित और विज्ञान शिक्षा को बहुत महत्व दिया जाता है, इस प्रकार की खबरें छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए मिश्रित प्रतिक्रियाएँ ला सकती हैं। एक ओर, यह नवाचार को बढ़ावा दे सकता है और छात्रों को एआई के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है। दूसरी ओर, यह चिंता पैदा कर सकता है कि एआई मानव बुद्धि को कम कर रहा है।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं का छात्रों के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यदि छात्रों को लगता है कि वे एआई से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं, तो वे अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लग सकते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि शिक्षा प्रणाली में छात्रों को यह सिखाया जाए कि वे मशीनों के साथ कैसे सहयोग कर सकते हैं और अपनी अद्वितीय मानव क्षमताओं का विकास कैसे कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, यह भी महत्वपूर्ण है कि समाज में एआई के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया जाए, ताकि लोग इसे खतरे के रूप में नहीं, बल्कि एक सहायक उपकरण के रूप में देखें। आईआईटी दिल्ली के एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि जो छात्र एआई के साथ मिलकर गणित सीखते हैं, वे अधिक रचनात्मक और समस्या-समाधान में बेहतर होते हैं। यह दर्शाता है कि एआई को शिक्षा में सही तरीके से एकीकृत करके, हम छात्रों को भविष्य के लिए बेहतर ढंग से तैयार कर सकते हैं।
अंत में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एआई का उपयोग मानव विकास और सामाजिक कल्याण के लिए किया जाए, न कि केवल तकनीकी प्रगति के लिए। हमें एक ऐसा भविष्य बनाना चाहिए जहाँ मानव और मशीनें मिलकर काम करें, एक दूसरे की शक्तियों का उपयोग करें, और एक बेहतर दुनिया का निर्माण करें।