कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की तीव्र प्रगति ने अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए हैं। जहां एआई कई लाभ प्रदान करता है, वहीं यह ऐसी चुनौतियां भी पेश करता है जिन पर सावधानीपूर्वक विचार और सक्रिय प्रबंधन की आवश्यकता है। डेटा केंद्रों की ऊर्जा मांग में वृद्धि एआई प्रौद्योगिकियों के प्रसार ने डेटा केंद्रों की ऊर्जा मांग में काफी वृद्धि की है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक डेटा केंद्रों द्वारा वैश्विक बिजली की खपत दोगुनी होकर लगभग 945 टेरावाट-घंटे (TWh) तक पहुंचने का अनुमान है, जो कुल वैश्विक बिजली खपत का लगभग 3% होगा। यह वृद्धि मुख्य रूप से एआई अनुप्रयोगों की गहन कम्प्यूटेशनल आवश्यकताओं से प्रेरित है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, 2026 तक डेटा केंद्रों से कुल बिजली की खपत का 6% (या 260 TWh) होने की उम्मीद है। विशेष रूप से टेक्सास राज्य ने एआई-संचालित डेटा केंद्रों के विस्तार के कारण महत्वपूर्ण प्रभाव का अनुभव किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती मांग 2035 तक सालाना 27 से 40 गीगावाट की कमी का कारण बन सकती है, जो बुनियादी ढांचे की क्षमताओं से अधिक हो सकती है।
एआई के पर्यावरणीय पदचिह्न बिजली की खपत से कहीं आगे तक फैला हुआ है। डेटा केंद्रों को शीतलन उद्देश्यों के लिए बड़ी मात्रा में पानी की भी आवश्यकता होती है। IEA का अनुमान है कि 100-मेगावाट का एक एकल डेटा केंद्र प्रतिदिन 2 मिलियन लीटर तक पानी का उपयोग कर सकता है, जो 6,500 घरों की दैनिक खपत के बराबर है। यह मांग, विशेष रूप से सूखे की चपेट वाले क्षेत्रों में, जल संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव डालती है। विभिन्न उद्योगों में एआई का एकीकरण श्रम बाजार में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। विश्व आर्थिक मंच (WEF) के 2025 के एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि एआई लाखों नौकरियों को विस्थापित कर सकता है, जबकि नई भूमिकाएं भी बना सकता है। हालांकि, रोजगार पर शुद्ध प्रभाव बहस का विषय बना हुआ है। पूर्व गूगल एक्स के मुख्य व्यावसायिक अधिकारी, मो गॉडेट, इस विचार पर संदेह व्यक्त करते हैं कि एआई नई रोजगार के अवसर पैदा करेगा, उनका सुझाव है कि एआई तेजी से मानव भूमिकाओं को प्रतिस्थापित कर रहा है, जिसमें सीईओ जैसे उच्च-स्तरीय पद भी शामिल हैं। एआई के विकास से जुड़ी पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियां व्यापक नीतियों और रणनीतियों की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। सरकारों, निगमों और समुदायों सहित हितधारकों को टिकाऊ प्रथाओं को विकसित करने के लिए सहयोग करना चाहिए जो एआई विस्तार के प्रतिकूल प्रभावों को कम कर सकें। इसमें ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों में निवेश करना, ऊर्जा उपयोग में पारदर्शिता को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि एआई के लाभ समाज में समान रूप से वितरित हों। अतिरिक्त जानकारी के अनुसार, 2030 तक वैश्विक डेटा केंद्रों की बिजली की खपत दोगुनी होकर लगभग 945 टेरावाट-घंटे (TWh) तक पहुंचने का अनुमान है, जो जापान की वर्तमान कुल बिजली खपत के बराबर है। यह वृद्धि मुख्य रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से प्रेरित है। अमेरिका में, डेटा केंद्र 2030 तक बिजली की मांग में कुल वृद्धि का लगभग आधा हिस्सा होंगे। टेक्सास में, डेटा केंद्रों की बढ़ती मांग ग्रिड पर महत्वपूर्ण दबाव डाल रही है, जिससे 2030 तक बिजली की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट के अनुसार, एक एकल डेटा केंद्र प्रतिदिन 5 मिलियन गैलन तक पानी का उपयोग कर सकता है, जो 10,000 से 50,000 लोगों की आबादी वाले शहर के पानी के उपयोग के बराबर है। यह एआई-संचालित डेटा केंद्रों के लिए जल की खपत की चुनौतियों को और बढ़ा देता है।