मार्गारीडा कार्डोसो द्वारा निर्देशित फिल्म 'बैनज़ो' को 98वें अकादमी पुरस्कारों में अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी में पुर्तगाल का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया है। पुर्तगाली अकादमी ऑफ सिनेमा ने 22 अगस्त से 10 सितंबर, 2025 तक चली मतदान प्रक्रिया के बाद यह चयन किया। यह फिल्म अफ्रीका में पुर्तगाली उपनिवेशवाद की विरासत, ऐतिहासिक स्मृतियों और घावों को समकालीन दृष्टिकोण से दर्शाती है।
'बैनज़ो' अपनी दृश्य शक्ति और अंतरंग कथा के लिए जानी जाती है, जो पहचान, दर्द और सामूहिक स्मृति पर एक शक्तिशाली प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है। 20वीं सदी की शुरुआत में एक उष्णकटिबंधीय अफ्रीकी द्वीप पर आधारित, यह कहानी पुर्तगाली उपनिवेशवादियों और जबरन काम करने वाले अश्वेत मजदूरों के बीच हिंसक रिश्ते को चित्रित करती है। फिल्म का नायक, अफोंसो, एक डॉक्टर है जिसे द्वीप पर 'बैनज़ो' से पीड़ित नौकरों का इलाज करने के लिए भेजा गया है। यह एक ऐसी स्थिति है जो गुलामी के कारण गहरे विषाद से उत्पन्न होती है।
यह शब्द, जो किम्बूंडो भाषा से लिया गया है, का अर्थ है दासता के कारण होने वाला गहरा अवसाद, जो अक्सर भुखमरी या आत्महत्या की ओर ले जाता है। 'बैनज़ो' का प्रीमियर 23 जनवरी, 2025 को पुर्तगाली सिनेमाघरों में हुआ, जिसके बाद इसका वैश्विक डेब्यू इंडीलिसबोआ 2024 में हुआ। फिल्म को पहले ही इंडीलिसबोआ 2024 में 'आर्बोरे दा विडा' पुरस्कार मिल चुका है और इसे अन्य अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए भी चुना गया है।
यह फिल्म पुर्तगाली उपनिवेशवाद के क्रूर इतिहास और उसके स्थायी प्रभावों पर प्रकाश डालती है, जो आज भी प्रासंगिक हैं। फिल्म को 2024 में इंडीलिसबोआ फिल्म फेस्टिवल में भी प्रदर्शित किया गया था, जहाँ इसे इसके शक्तिशाली चित्रण के लिए सराहा गया। यह फिल्म पुर्तगाल के औपनिवेशिक अतीत के जटिल विषयों को छूती है, जो अक्सर भुला दिए जाते हैं या विकृत कर दिए जाते हैं। फिल्म के माध्यम से, दर्शक उस समय की क्रूर वास्तविकताओं और उन लोगों के गहरे भावनात्मक घावों को महसूस कर सकते हैं जिन्होंने इसे झेला था। यह फिल्म न केवल एक ऐतिहासिक आख्यान प्रस्तुत करती है, बल्कि मानवीय स्थिति और स्मृति की जटिलताओं पर भी विचार करने के लिए प्रेरित करती है।