19 अक्टूबर 2025 की सुबह, पेरिस के लूव्र संग्रहालय में एक बड़ी चोरी की घटना हुई, जिसने वैश्विक कला और संस्कृति समुदाय में हलचल मचा दी। पेशेवर चोरों के एक समूह ने मात्र सात मिनट से भी कम समय में गैलरी डी'अपोलो (Galerie d'Apollon) में सेंध लगाई और आठ ऐतिहासिक रत्नों को हथिया लिया। यह घटना उस समय हुई जब संग्रहालय आगंतुकों के लिए खुला था, जो इस बात का संकेत है कि व्यवस्था की सहजता को भेदना संभव हुआ।
चोरी किए गए बेशकीमती सामानों में नेपोलियन द्वारा महारानी मैरी लुईस को भेंट किया गया एक पन्ना और हीरे का हार, तथा लगभग 2,000 हीरों से सुसज्जित महारानी यूजीनी का टियारा शामिल था। इसके अतिरिक्त, महारानी मैरी-अमेली और रानी हॉर्टेंस के नीलम के सेट से एक टियारा, हार और एक झुमका, तथा महारानी यूजीनी का एक बड़ा कॉर्सेज-बो ब्रोच भी गायब है। हालाँकि किसी के घायल होने की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन इस उच्च-प्रोफ़ाइल चोरी के बाद संग्रहालय को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।
चोरों ने एक वाहन-माउंटेड इलेक्ट्रिक होइस्ट (monte-meuble) का उपयोग करके इमारत के दूसरी मंजिल के बालकनी तक पहुँच बनाई, फिर डिस्क कटर से शीशे को काटकर गैलरी डी'अपोलो तक पहुँचे, जिससे सुरक्षा अलार्म बज उठे। आंतरिक मंत्री लॉरेंट नूनेज़ ने बताया कि यह एक सुनियोजित कार्रवाई थी, जिसमें चार संदिग्धों के शामिल होने की आशंका है, जो निर्माण श्रमिकों के भेष में थे। यह घटना संग्रहालय के सबसे भव्य कक्षों में से एक, जिसे 'सूर्य राजा' लुई XIV के आदेश पर सजाया गया था, में हुई, जहाँ फ्रांसीसी क्राउन ज्वेल रखे जाते हैं।
यह उच्च-स्तरीय डकैती संगठित अपराध के प्रति प्रमुख यूरोपीय संग्रहालयों की भेद्यता को उजागर करती है और विश्व सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए तत्काल उन्नत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर बल देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये जवाहरात आसानी से वैध बाज़ार में दोबारा दिखाई नहीं देंगे, क्योंकि ये अत्यधिक पहचाने जाने योग्य टुकड़े हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, चोरों ने भागते समय महारानी यूजीनी का ताज, जिसमें 1,354 हीरे और 56 पन्ने जड़े थे, संग्रहालय के पास टूटा हुआ छोड़ दिया था।
इस घटना ने कला जगत में व्यापक चिंता पैदा कर दी है, जिससे दुनिया भर के संग्रहालयों को अपने सुरक्षा कार्यक्रमों की पूरी तरह से समीक्षा करने की प्रेरणा मिली है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि संस्थानों को पुरानी प्रणालियों से आगे बढ़कर ऐसी तकनीकों को अपनाना चाहिए जो वास्तविक समय में सीखें और प्रतिक्रिया दें, अन्यथा वे ऐसे जोखिमों का सामना करते रहेंगे। यह घटना इस बात का आईना है कि सबसे प्रतिष्ठित संस्थाएँ भी केवल उन प्रणालियों जितनी ही मजबूत होती हैं जो उनकी रक्षा करती हैं। इस प्रकार की घटनाएँ एक अवसर प्रस्तुत करती हैं कि हम अपनी सामूहिक सुरक्षा व्यवस्थाओं की सीमाओं को पहचानें और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में कार्य करें, ताकि अमूल्य विरासत का संरक्षण सुनिश्चित हो सके। यह स्पष्ट है कि बाहरी चुनौतियों का सामना करने के लिए आंतरिक व्यवस्थाओं में निरंतर सुधार की आवश्यकता है।
