शिकागो विश्वविद्यालय के प्रित्ज़कर स्कूल ऑफ मॉलिक्यूलर इंजीनियरिंग (UChicago PME) के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिसमें उन्होंने जीवित कोशिकाओं के भीतर क्वांटम बिट (क्यूबिट) के रूप में कार्य करने के लिए एक प्रोटीन को सफलतापूर्वक इंजीनियर किया है। यह अध्ययन, जो 29 अगस्त, 2025 को नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ, क्वांटम प्रौद्योगिकी को जैविक प्रणालियों के साथ एकीकृत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह शोध न केवल क्वांटम सेंसिंग के लिए नए रास्ते खोलता है, बल्कि क्वांटम सामग्री डिजाइन करने के लिए एक मौलिक रूप से भिन्न दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करता है।
पारंपरिक सॉलिड-स्टेट क्वांटम सेंसर को अक्सर अत्यधिक ठंडे वातावरण की आवश्यकता होती है, जो जीवन के लिए अनुकूल नहीं है। इसके विपरीत, ये नए विकसित प्रोटीन-आधारित क्यूबिट्स आनुवंशिक रूप से एन्कोड किए जाते हैं और सीधे जीवित कोशिकाओं के भीतर ही निर्मित होते हैं। यह उन्हें जैविक वातावरण की गर्म और गतिशील परिस्थितियों में प्रभावी ढंग से काम करने की क्षमता प्रदान करता है। शोध दल, जिसका नेतृत्व डेविड अव्शालोम और पीटर मौरर ने किया, ने एक फ्लोरोसेंट प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने प्रदर्शित किया कि यह प्रोटीन एक क्वांटम सेंसर के रूप में कार्य कर सकता है, जो सूक्ष्म पर्यावरणीय परिवर्तनों का पता लगा सकता है। इस सफलता से क्वांटम-सक्षम नैनोस्केल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) संभव हो सकती है, जो जैविक प्रक्रियाओं में परमाणु-स्तर की अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी।
शोधकर्ताओं ने एनहांस्ड येलो फ्लोरोसेंट प्रोटीन (EYFP) का उपयोग किया, जिसमें एक मेटास्टेबल ट्रिपलेट अवस्था होती है, जिसे क्यूबिट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने EYFP के स्पिन-जाली विश्राम समय (spin-lattice relaxation time) को 141 माइक्रोसेकंड और सुसंगतता समय (coherence time) को 16 माइक्रोसेकंड दर्ज किया। ये परिणाम फ्लोरोसेंट प्रोटीन को क्वांटम सेंसर के लिए एक आशाजनक नए मंच के रूप में स्थापित करते हैं। पीटर मौरर के अनुसार, "हम प्रकृति के अपने विकास और स्व-संयोजन के उपकरणों का उपयोग करके वर्तमान स्पिन-आधारित क्वांटम प्रौद्योगिकी के सामने आने वाली कुछ बाधाओं को दूर करना शुरू कर सकते हैं।" यह दृष्टिकोण पारंपरिक क्वांटम सेंसर को जैविक प्रणालियों में फिट करने के बजाय, जैविक प्रणालियों को ही क्यूबिट में विकसित करने पर केंद्रित है।
यह शोध राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन के क्वांटम लीप चैलेंज इंस्टीट्यूट फॉर क्वांटम सेंसिंग फॉर बायोफिजिक्स एंड बायोइंजीनियरिंग (QuBBE) और गॉर्डन और बेट्टी मूर फाउंडेशन से समर्थित है। QuBBE, जिसकी स्थापना 2021 में हुई थी, का लक्ष्य जीव विज्ञान में क्वांटम प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाना और STEM शिक्षा के माध्यम से एक क्वांटम कार्यबल तैयार करना है। इस तकनीक की सबसे बड़ी क्षमता यह है कि यह कोशिकाओं को स्वयं इन क्वांटम सेंसर का निर्माण करने की अनुमति देती है, जिससे वे उप-कोशिकीय संरचनाओं को लक्षित कर सकते हैं। यह जैविक अनुसंधान में क्रांति ला सकता है, जिससे कोशिकाओं के भीतर होने वाली प्रक्रियाओं को क्वांटम स्तर पर देखने का एक नया तरीका मिलेगा।