भौतिकीविदों ने पहली बार अणुओं के भीतर परमाणुओं की सूक्ष्म, समन्वित गतियों को सीधे देखा है, जो क्वांटम यांत्रिकी के मूलभूत सिद्धांतों को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभूतपूर्व शोध, जो अगस्त 2025 में प्रकाशित हुआ, यह दर्शाता है कि पूर्ण शून्य तापमान पर भी, अणुओं के भीतर परमाणु शून्य-बिंदु ऊर्जा द्वारा संचालित अव्यवस्थित कंपन नहीं करते हैं, बल्कि एक सहसंबद्ध, गैर-यादृच्छिक नृत्य में भाग लेते हैं।
गोएथे विश्वविद्यालय फ्रैंकफर्ट के वैज्ञानिकों ने मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर न्यूक्लियर फिजिक्स के सहयोग से, यूरोपीय एक्सएफईएल (European XFEL) की शक्तिशाली एक्स-रे लेजर पल्स का उपयोग करके इस 'शाश्वत नृत्य' को दृश्यमान बनाया। उन्होंने आयोडोपाइरिडीन (iodopyridine) अणुओं को नियंत्रित विस्फोटों में प्रेरित करने के लिए इन लेजर पल्स का उपयोग किया। इसके बाद, एक विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए COLTRIMS रिएक्शन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके, उन्होंने इन विस्फोटों से उत्पन्न आणविक टुकड़ों का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण के माध्यम से, वे मूल आणविक संरचनाओं का पुनर्निर्माण करने में सक्षम हुए, जिससे परमाणुओं की सूक्ष्म, सहसंबद्ध गतियों को कैप्चर किया जा सका।
प्रोफेसर टिल जैंके के नेतृत्व में शोध दल ने पाया कि परमाणु व्यक्तिगत रूप से कंपन नहीं करते हैं, बल्कि एक निश्चित पैटर्न का पालन करते हुए एक साथ कंपन करते हैं। आयोडोपाइरिडीन अणु, जिसमें ग्यारह परमाणु होते हैं, ने 27 विभिन्न कंपन मोड प्रदर्शित किए, जो इस जटिल क्वांटम घटना की गहराई को दर्शाते हैं। यह खोज क्वांटम यांत्रिकी के उन पहलुओं पर प्रकाश डालती है जिन्हें पहले केवल अनुमानित किया जा सकता था, लेकिन कभी सीधे तौर पर देखा नहीं गया था।
यह परिणाम क्वांटम यांत्रिकी के मूलभूत सिद्धांतों, जैसे हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धांत, को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जो बताता है कि किसी कण की स्थिति और संवेग दोनों को एक साथ सटीक रूप से मापना असंभव है। शून्य-बिंदु ऊर्जा, जो क्वांटम प्रणालियों में पूर्ण शून्य तापमान पर भी बनी रहने वाली न्यूनतम ऊर्जा है, इन निरंतर उतार-चढ़ावों के लिए जिम्मेदार है।
यह शोध न केवल क्वांटम यांत्रिकी की हमारी समझ को गहरा करता है, बल्कि फोटोकैमिकल प्रतिक्रियाओं के अध्ययन में भी महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है। फोटोकैमिस्ट्री, जो प्रकाश-प्रेरित आणविक परिवर्तनों का अध्ययन करती है, ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स और सामग्री विज्ञान जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दे रही है। प्रकाश-आधारित प्रतिक्रियाएं अक्सर हल्के परिस्थितियों में होती हैं और कम ऊर्जा की खपत करती हैं, जिससे वे पर्यावरण के अनुकूल बन जाती हैं। इस तरह की अंतर्दृष्टि नई दवाओं के विकास, टिकाऊ ऊर्जा उत्पादन और उन्नत सामग्री के निर्माण में सहायक हो सकती है।
यह कार्य, जो साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, भविष्य में इलेक्ट्रॉनों की गति को फिल्म की तरह देखने के मार्ग भी प्रशस्त करता है, जिससे आणविक प्रक्रियाओं की हमारी समझ और भी विस्तृत हो जाएगी।