सूर्य की सतह पर एक बड़े कोरोनल होल के कारण पृथ्वी पर भू-चुंबकीय तूफान आने की आशंका है। यह तूफान 13 से 14 सितंबर, 2025 के बीच पृथ्वी को प्रभावित कर सकता है, और इसकी तीव्रता G2 से G3 स्तर तक जा सकती है। ये तूफान छह दिनों तक बने रह सकते हैं, जिसमें 14 से 16 सितंबर के बीच चरम गतिविधि की उम्मीद है। कोरोनल होल सूर्य की सतह पर ऐसे क्षेत्र होते हैं जहाँ चुंबकीय क्षेत्र कमजोर होकर खुल जाते हैं, जिससे आवेशित कणों की एक तीव्र धारा निकलती है, जिसे सौर पवन कहा जाता है। इस विशेष कोरोनल होल से निकलने वाली सौर पवन सामान्य से अधिक तेज और सघन है, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करेगी। 11 सितंबर, 2025 को, यह कोरोनल होल सूर्य के दृश्य डिस्क के केंद्र तक पहुँच गया था, जिससे इन गड़बड़ीयों की उम्मीद बढ़ी है।
प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, तूफान G2 स्तर से अधिक नहीं हो सकते हैं, लेकिन यह केवल प्रारंभिक आकलन है क्योंकि महत्वपूर्ण मापदंडों को पृथ्वी द्वारा प्रभावित क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद ही मापा जा सकता है। सितंबर 2025 में भू-चुंबकीय गतिविधि असामान्य रूप से बढ़ी हुई है। महीने के पहले दस दिनों में ही तीन बड़े तूफान दर्ज किए गए हैं, जबकि अगस्त में केवल एक ही तूफान आया था। विशेष रूप से, 10 सितंबर, 2025 को एक अचानक और अस्पष्टीकृत चुंबकीय तूफान आया, जिसका कोई स्पष्ट सौर कारण ज्ञात नहीं था। पिछले तीन महीनों में सूर्य की गतिविधि में 70% की वृद्धि हुई है, जो 2024 की शुरुआत के स्तर पर वापस आ गई है।
भू-चुंबकीय तूफानों के कारण उच्च अक्षांशों पर अरोरा (उत्तरी रोशनी) दिखाई दे सकती है। इसके अलावा, ये तूफान उपग्रहों और जीपीएस प्रणालियों में मामूली व्यवधान पैदा कर सकते हैं, साथ ही बिजली ग्रिड में भी उतार-चढ़ाव ला सकते हैं। विशेषज्ञों ने संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सुरक्षा करने और संचार प्रणालियों की निगरानी करने की सलाह दी है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सौर चक्र 25 अपने चरम पर पहुँच रहा है, और 2025 में इस तरह की बढ़ी हुई गतिविधि की उम्मीद की जा रही है, जो 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में होने का अनुमान था। यह बढ़ी हुई गतिविधि न केवल अरोरा के सुंदर प्रदर्शन का कारण बन सकती है, बल्कि हमारे तकनीकी बुनियादी ढांचे के लिए भी चुनौतियां पेश कर सकती है।