31 अगस्त, 2025 की रात पूर्वी अफगानिस्तान में एक शक्तिशाली 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे भारी तबाही हुई। इस विनाशकारी भूकंप ने कुनार और नंगरहार प्रांतों को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया, जहाँ कई गाँव पूरी तरह से तबाह हो गए और हजारों लोग घायल हुए। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, कम से कम 800 लोगों की जान चली गई और 2,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। भूकंप का केंद्र जलालाबाद शहर के उत्तर-पूर्व में लगभग 27 किलोमीटर दूर, 8 किलोमीटर की उथली गहराई पर स्थित था।
इस भूकंप की वजह से कुनार प्रांत के पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों में सबसे ज़्यादा तबाही मची। कई गाँव पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गए, जबकि कई अन्य को गंभीर नुकसान पहुँचा। आपदा के तुरंत बाद, अफगान अधिकारियों ने बचाव और राहत कार्यों के लिए हेलीकॉप्टरों को तैनात किया। घायलों को निकालने और प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल सहायता पहुँचाने के प्रयास जारी हैं। स्थानीय बचाव दल और स्वयंसेवक अलग-थलग पड़े समुदायों तक पहुँचने और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि, दुर्गम पहाड़ी इलाक़ों और भूस्खलन के कारण बचाव कार्यों में बाधा आ रही है, जिससे कई प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँचना मुश्किल हो गया है। यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय है, जो भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन बिंदु के करीब स्थित है। अक्टूबर 2023 में भी इसी तरह के विनाशकारी भूकंपों ने देश को हिला दिया था, जिसमें 1,500 से अधिक लोगों की जान गई थी।
इस नवीनतम घटना ने अफगानिस्तान की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति भेद्यता को फिर से उजागर किया है, खासकर ऐसे समय में जब देश पहले से ही मानवीय संकटों से जूझ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सहायता की अपील की जा रही है ताकि प्रभावित लोगों को तत्काल राहत और पुनर्वास प्रदान किया जा सके। इस मुश्किल घड़ी में, एकजुटता और सहायता की भावना सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि अफगानिस्तान के लोग इस विपदा से उबर सकें और अपने जीवन का पुनर्निर्माण कर सकें।