टोक्यो ने लगातार 10 दिनों तक 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान दर्ज किया है, जो 1875 के बाद से एक रिकॉर्ड है। यह भीषण गर्मी जापान के सबसे गर्म जून और जुलाई के बाद आई है, जिसमें औसत तापमान ऐतिहासिक मानदंडों से काफी ऊपर रहा है। इस लगातार पड़ रही गर्मी के कारण पूरे देश में हीटस्ट्रोक से 53,000 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) के अनुसार, यह तीव्र गर्मी प्रशांत महासागर पर मजबूत उच्च दबाव प्रणालियों के कारण है, जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन से और बढ़ गई है। अधिकारियों ने निवासियों से घर के अंदर रहने और वातानुकूलित स्थानों का उपयोग करने का आग्रह किया है, ताकि गर्मी से संबंधित बीमारियों को कम किया जा सके, विशेषकर कमजोर आबादी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के अलावा, अत्यधिक तापमान का कृषि पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। विशेष रूप से पूर्वोत्तर जापान में चावल की फसलें सूखे और कीटों के प्रकोप से प्रभावित हो रही हैं। शोध बताते हैं कि उच्च तापमान चावल की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है, जिससे अनाज में स्टार्च का निर्माण कम हो जाता है और दाने में चाक जैसा सफेदपन आ जाता है, जिससे उनकी गुणवत्ता और मूल्य दोनों कम हो जाते हैं। पिछले साल, जापान में असामान्य रूप से गर्म मौसम के कारण चावल की फसल खराब हुई थी, जिससे देशव्यापी कमी आई थी और कीमतें बढ़ी थीं। किसानों को अब जल्दी कटाई करने और गर्मी-प्रतिरोधी किस्मों को अपनाने जैसे अनुकूलन उपायों पर विचार करना पड़ रहा है। सरकार कीट नियंत्रण और सूखे से बचाव के लिए आपातकालीन सहायता प्रदान कर रही है।
समुद्री तापमान में वृद्धि का मत्स्य पालन उद्योग पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। गर्म होते समुद्र के पानी के कारण मछलियां अन्य क्षेत्रों की ओर पलायन कर रही हैं, जिससे पारंपरिक मछलियों की पकड़ में कमी आई है। जापान के मत्स्य पालन एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 और 2019 के बीच समुद्री भोजन की कुल पकड़ में 13 प्रतिशत की गिरावट आई है। सी अर्चिन जैसी समुद्री खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेज वृद्धि देखी गई है, जो इस संकट को और बढ़ा रही है। यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे हमारे ग्रह पर हो रहे परिवर्तन हमारे दैनिक जीवन और आजीविका को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं।
यह अभूतपूर्व गर्मी की लहरें जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव का एक स्पष्ट संकेत हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये घटनाएँ अधिक तीव्र और लगातार होती जाएंगी। इस स्थिति से निपटने के लिए, जापान सरकार ने विशेष हीटस्ट्रोक अलर्ट सिस्टम लागू किया है और सार्वजनिक स्थानों पर वातानुकूलित आश्रय स्थल खोलने जैसे उपाय कर रही है। यह संकट हमें प्रकृति के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करने और स्थायी समाधान खोजने के लिए प्रेरित करता है, ताकि हम भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक लचीलापन विकसित कर सकें।