भारत का हिमालयी क्षेत्र इस समय भीषण बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं से जूझ रहा है, जिससे व्यापक तबाही हुई है। राष्ट्रीय राजमार्ग 21, जो मनाली जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल तक पहुँचने का एक महत्वपूर्ण मार्ग है, बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इस राजमार्ग के दस स्थानों पर पूरी तरह से बह जाने और पांच अन्य स्थानों पर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने के कारण मनाली का राज्य के बाकी हिस्सों से संपर्क टूट गया है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस महत्वपूर्ण मार्ग की तत्काल बहाली के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है और युद्धस्तर पर मरम्मत कार्य जारी है।
मूसलाधार बारिश के कारण ब्यास नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिससे राज्य भर में 300 से अधिक सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। इन बाढ़ों ने बिजली और जलापूर्ति प्रणालियों को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे कई क्षेत्रों में आवश्यक सेवाओं में बाधा उत्पन्न हुई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जो आगे भी प्रतिकूल मौसम की संभावना का संकेत देता है।
कुल्लू-मनाली क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हुआ है, जहां ब्यास नदी के उफान ने टोल प्लाजा को जलमग्न कर दिया है और कई बहुमंजिला इमारतों और दुकानों को बहा दिया है। सड़कों के बंद होने से लगभग 50 किलोमीटर तक लंबा ट्रैफिक जाम लग गया है, जिससे यात्रियों और पर्यटकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन द्वारा वैकल्पिक मार्गों से हल्के वाहनों को डायवर्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन कई स्थानों पर इन वैकल्पिक मार्गों को भी नुकसान पहुंचा है।
इस प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर, अधिकारियों ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई जिलों में शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया है। एनएचएआई न केवल अस्थायी बहाली पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, बल्कि स्थायी समाधानों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर भी काम कर रहा है, जिसमें सुरंगों का निर्माण और ढलान स्थिरीकरण जैसे विकल्प शामिल हैं। यह स्थिति पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करती है, खासकर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के बीच। स्थानीय समुदाय और पर्यटक दोनों ही इस संकट से प्रभावित हुए हैं, और राहत तथा पुनर्प्राप्ति के प्रयास जारी हैं।