इंडोनेशिया के खूबसूरत द्वीप बाली में मंगलवार शाम से बुधवार सुबह तक हुई मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है। लगातार हो रही बारिश के कारण व्यापक बाढ़ आ गई है, जिससे कम से कम छह लोगों की जान चली गई है और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है। कई प्रमुख सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, जिससे द्वीप पर आवागमन ठप हो गया है और स्थानीय निवासी फंसे हुए हैं।
राजधानी देनपसार में, लगातार हो रही बारिश के कारण दो इमारतों के ढहने से चार लोगों की मौत हो गई। जंब्राना क्षेत्र में दो अन्य लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जहां 85 निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। बचाव दल अभी भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं, और अधिकारियों को आशंका है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।
मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान और भूभौतिकी एजेंसी (बीएमकेजी) के अनुसार, मंगलवार रात को जंब्राना स्थित बाली जलवायु विज्ञान स्टेशन पर 385.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो अत्यधिक वर्षा की निचली सीमा (150 मिमी प्रति दिन) से दोगुनी है। वहीं, बीआरएन के जलवायु और वायुमंडलीय अनुसंधान केंद्र की शोधकर्ता एर्मा युलिहस्तीन ने सानूर, देनपसार में एक मापक यंत्र के आधार पर बताया कि मंगलवार को 216 मिमी और बुधवार को 150 मिमी से अधिक बारिश हुई। बीएमकेजी ने पहले ही 9-11 सितंबर, 2025 के लिए बाली को अत्यधिक वर्षा, गरज और तेज हवाओं की चेतावनी जारी की थी।
बाली के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक पहुंच भारी बारिश के कारण गंभीर रूप से बाधित हुई है, जिससे यात्रा में काफी देरी हो रही है। सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे वीडियो में प्रमुख सड़कों पर पानी भरा हुआ दिखाई दे रहा है, जिससे पूरे द्वीप पर यातायात जाम की स्थिति बनी हुई है। अधिकारियों ने यात्रियों को हवाई अड्डे की सलाह पर नजर रखने और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों से बचने की सलाह दी है। लगभग 200 बचावकर्मी फंसे हुए निवासियों की सहायता करने और अवरुद्ध सड़कों को साफ करने के काम में लगे हुए हैं।
बाली के कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, और आपातकालीन प्रतिक्रिया दल बुनियादी सेवाओं को बहाल करने और महत्वपूर्ण सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं। यह घटना जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करती है, जिसने इंडोनेशिया के मौसम के पैटर्न को प्रभावित किया है। हालांकि बाली अपने शुष्क मौसम के लिए जाना जाता है, लेकिन इस तरह की गंभीर बाढ़ की घटनाएं मौसम की चरम घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति का संकेत देती हैं। इस संकट ने बुनियादी ढांचे की कमजोरियों को भी उजागर किया है, जिसमें जल निकासी प्रणालियों का अपर्याप्त होना और शहरी विकास का दबाव शामिल है।
यह स्थिति समुदायों के लिए अपनी तैयारियों और प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं का सामना बेहतर ढंग से किया जा सके। यह घटना हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने और टिकाऊ समाधानों की ओर बढ़ने की आवश्यकता की याद दिलाती है।