फ्लोरिडा की मूंगा चट्टानों में एक अध्ययन से पता चला है कि प्रोबायोटिक उपचार से पथरीले प्रवाल ऊतक हानि रोग (SCTLD) की प्रगति को धीमा किया जा सकता है। यह शोध पारंपरिक एंटीबायोटिक उपचारों का एक संभावित विकल्प प्रस्तुत करता है।
स्मिथसोनियन के राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय और उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय विलमिंगटन के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह अध्ययन किया। उन्होंने प्रोबायोटिक स्ट्रेन Pseudoalteromonas sp. McH1-7 का उपयोग किया, जिसे फ्लोरिडा के पास एक उथली चट्टान पर पूरे प्रवाल कॉलोनियों पर लागू किया गया था। 2.5 वर्षों में, उपचार ने SCTLD की प्रगति को सफलतापूर्वक धीमा किया। प्रोबायोटिक दृष्टिकोण एक पेस्ट-आधारित उपचार से अधिक प्रभावी साबित हुआ।
यह खोज महत्वपूर्ण है, क्योंकि SCTLD ने फ्लोरिडा और कैरिबियन में प्रवाल भित्तियों को प्रभावित किया है। अध्ययन प्रवाल रोग प्रबंधन में प्रोबायोटिक्स की क्षमता पर प्रकाश डालता है, जो इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों की रक्षा के लिए एक स्थायी दृष्टिकोण प्रदान करता है।
सामाजिक-मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, इस खोज का महत्व समुदायों और व्यक्तियों की भावनाओं और व्यवहारों में निहित है जो प्रवाल भित्तियों पर निर्भर हैं। प्रवाल भित्तियों के स्वास्थ्य में सुधार की खबर से आशा और सकारात्मकता की भावना पैदा हो सकती है, जिससे इन नाजुक पारिस्थितिक तंत्रों की रक्षा के प्रयासों में वृद्धि हो सकती है। उदाहरण के लिए, मालदीव जैसे स्थानों में, जहाँ पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्थाएँ प्रवाल भित्तियों पर बहुत अधिक निर्भर हैं, प्रोबायोटिक उपचार की सफलता से निवासियों और पर्यटकों दोनों के बीच जिम्मेदारी की भावना बढ़ सकती है।
इसके अतिरिक्त, यह अध्ययन प्रवाल भित्तियों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है और लोगों को अपने व्यवहार में बदलाव करने के लिए प्रेरित कर सकता है, जैसे कि टिकाऊ पर्यटन का समर्थन करना और प्रदूषण को कम करना। सामाजिक-मनोवैज्ञानिक अनुसंधान से पता चलता है कि जब लोग किसी समस्या के समाधान में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं, तो वे इसके प्रति अधिक प्रतिबद्ध होते हैं। इसलिए, प्रोबायोटिक उपचार के उपयोग को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल करने से SCTLD के खिलाफ लड़ाई में अधिक प्रभावी और टिकाऊ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।