पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (PIK) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, महासागरों का अम्लीकरण समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा सीमा को पार कर गया है। 24 सितंबर, 2025 को प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महासागरों में एरागोनिट (aragonite) की सांद्रता पूर्व-औद्योगिक स्तरों के 80% से नीचे गिर गई है, जो नौ "ग्रहीय सीमाओं" में से सातवीं सीमा का उल्लंघन है। ग्रहीय सीमाओं की अवधारणा को 2009 में वैज्ञानिकों द्वारा पेश किया गया था, जिन्होंने ग्रह की स्थिरता के लिए नौ महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं की पहचान की थी। इनमें से छह सीमाएं पहले ही पार हो चुकी थीं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का नुकसान और जैव-भू-रासायनिक चक्रों में परिवर्तन शामिल हैं।
जीवाश्म ईंधन के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के अवशोषण से प्रेरित महासागर अम्लीकरण को हाल ही में ग्रह के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा माना गया है। औद्योगिक युग की शुरुआत के बाद से, महासागर की सतह का पीएच लगभग 0.1 इकाई कम हो गया है, जिससे अम्लता में 30% से 40% की वृद्धि हुई है। यह परिवर्तन उन जीवों के लिए खतरा पैदा करता है जो कैल्शियम कार्बोनेट से बने खोल या कंकाल बनाते हैं, जैसे कि मूंगा, मोलस्क और महत्वपूर्ण प्लवक प्रजातियां। इन जीवों के धीरे-धीरे गायब होने से खाद्य श्रृंखला बाधित हो सकती है और तटीय समुदायों के लिए खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
महासागर अम्लीकरण का मुख्य कारण जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्सर्जित CO2 का अवशोषण है। अन्य छह पार की गई ग्रहीय सीमाओं में जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, जैव विविधता का नुकसान, सिंथेटिक रसायनों का प्रसार (प्लास्टिक सहित), मीठे पानी की कमी और नाइट्रोजन चक्र का संतुलन शामिल हैं। वायुमंडल में एरोसोल (वायु प्रदूषण) और समताप मंडल में ओजोन का स्तर अभी तक पार नहीं की गई दो सीमाएं हैं।
महासागरों के बढ़ते अम्लीकरण से CO2 उत्सर्जन को कम करने और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है। समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPAs) की स्थापना और उच्च सागर संधि जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का अनुसमर्थन, महासागर संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। हालांकि, अम्लीकरण के प्रभावों को कम करने और समुद्री जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए तेज और अधिक समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। वर्तमान स्थिति पृथ्वी प्रणालियों की परस्पर संबद्धता और ग्रह की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरणीय चुनौतियों का व्यापक रूप से समाधान करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को बचाने के लिए समुद्री शैवाल और मैंग्रोव वनों का पुनरुद्धार जैसे समाधान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि ये कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में मदद करते हैं।