बेबीलोनियन 'इमेगो मुंडी' मृत्तिका पट्टिका: प्राचीन विश्व-दृष्टि और महाप्रलय की गाथा

द्वारा संपादित: Tetiana Martynovska 17

प्राचीन मेसोपोटामिया की दुनिया को समझने का एक अनूठा दृष्टिकोण बेबीलोनियन मृत्तिका पट्टिका 'इमेगो मुंडी' (Imago Mundi) से प्राप्त होता है, जिसकी उत्पत्ति छठी शताब्दी ईसा पूर्व की मानी जाती है। यह कलाकृति, जो आधुनिक इराक के दक्षिणी शहर अबू हब्बा (प्राचीन सिप्पर) में खोजी गई थी, 1882 में ब्रिटिश संग्रहालय के संग्रह का हिस्सा बनी। यह पट्टिका केवल एक भौगोलिक चित्रण नहीं है, बल्कि यह उस समय के लोगों की गहन समझ और ब्रह्मांड के प्रति उनके दृष्टिकोण का दर्पण है।

यह मानचित्र एक गोलाकार रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जिसके केंद्र में मेसोपोटामिया को प्रमुखता दी गई है, जो उस समय के निवासियों के लिए जीवन का केंद्र था। इस केंद्रीय क्षेत्र को 'कड़वी नदी' (Bitter River) नामक दोहरी वलय से घेरा गया है, जो ज्ञात दुनिया की सीमाओं का प्रतीक थी। इस सीमा के भीतर, क्यूनिफॉर्म शिलालेखों में पृथ्वी की रचना और मेसोपोटामिया के बाहर के क्षेत्रों और आबादी का विवरण मिलता है। यूफ्रेट्स नदी इस मानचित्र पर स्पष्ट रूप से अंकित है, जो उस सभ्यता के लिए जीवनदायिनी थी।

इस पट्टिका का महत्व केवल भूगोल तक सीमित नहीं है; यह प्राचीन कथाओं को भी समाहित करता है। इसमें नूह की कहानी का बेबीलोनियन संस्करण भी शामिल है, जहाँ नायक का नाम उत्नापिश्तिम (Utnapishtim) है, जिसका जहाज़ 'कड़वी नदी' के पार एक पर्वत पर उतरा था। यह विवरण बाइबिल की कथा से गहरा संबंध दर्शाता है, जहाँ नूह का सन्दूक 'अरारात' पर्वत पर उतरा था, जिसे विद्वान उरारतु (Urartu) पर्वत श्रृंखला मानते हैं। डॉ. इरविंग फिंकेल, जो ब्रिटिश संग्रहालय में क्यूरेटर और क्यूनिफॉर्म विशेषज्ञ हैं, ने बताया कि यह मानचित्र ज्ञात दुनिया को समाहित करता है, जहाँ लोग निवास करते थे, फलते-फूलते थे और मृत्यु को प्राप्त होते थे।

'इमेगो मुंडी' बेबीलोनियन धार्मिक विश्वासों का भी एक संगम है। इसमें उनके सृष्टिकर्ता देवता मार्डुक (Marduk) के साथ-साथ बिच्छू-मानव (scorpion-man) और शेर-मुख वाला पक्षी अंज़ू (Anzu) जैसे पौराणिक प्राणियों को भी दर्शाया गया है। यह भूगोल और मिथकों का मिश्रण उस समय की उन्नत कल्पनाशीलता और जटिल विश्व-दृष्टि को उजागर करता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह केवल एक व्यावहारिक मार्गदर्शक न होकर, बेबीलोनियन शासकों द्वारा अपनी शक्ति को केवल भूमि पर ही नहीं, बल्कि स्वर्ग पर भी स्थापित करने का एक धार्मिक वक्तव्य था।

पट्टिका के पीछे के शिलालेखों में खगोलीय विवरण भी हैं, जो पृथ्वी के भूगोल को सितारों से जोड़ते हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि बेबीलोनियन अपनी दुनिया को एक अंतर्संबंधित ब्रह्मांडीय व्यवस्था के रूप में देखते थे। यह प्राचीन कलाकृति हमें यह समझने का अवसर देती है कि कैसे उस समय के लोगों ने अपने भौतिक परिवेश को अपने आध्यात्मिक और पौराणिक ताने-बाने में बुना था, जिससे उनके लिए वास्तविकता की सीमाएँ आज की हमारी समझ से कहीं अधिक व्यापक थीं।

स्रोतों

  • GreekReporter.com

  • Ancient Mystery of the World’s Oldest Map on a 3,000-Year-Old Babylonian Tablet Finally Uncovered

  • Imago Mundi

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