हालिया शोध से पता चलता है कि माता-पिता का परफेक्शनिज़्म बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। अमेरिका, कनाडा और यूके में 20,000 बच्चों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि पिछले 32 वर्षों में बच्चों द्वारा माता-पिता की आलोचना और अपेक्षाओं को महसूस करने में 32% की वृद्धि हुई है, जो माता-पिता के बढ़ते परफेक्शनिज़्म के साथ मेल खाती है। यह बढ़ा हुआ दबाव बच्चों में अवसाद, चिंता और खाने के विकारों सहित मनोवैज्ञानिक समस्याओं में योगदान कर सकता है।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थॉमस कुरान बताते हैं कि माता-पिता का परफेक्शनिज़्म इन स्थितियों को ट्रिगर कर सकता है। अधिकारवादी पालन-पोषण शैली, जो उच्च मांगों और सख्त नियंत्रण की विशेषता है, अक्सर बच्चों में प्रतिकूल परफेक्शनिज़्म के विकास से जुड़ी होती है, जिससे तनाव और खाने के विकार हो सकते हैं। भारतीय संदर्भ में भी, माता-पिता की अत्यधिक अपेक्षाएं बच्चों पर भारी पड़ सकती हैं। कई अध्ययनों से पता चलता है कि अकादमिक दबाव, करियर की ऊँची उम्मीदें, और लगातार तुलना बच्चों में चिंता और अवसाद का कारण बन सकती है। इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 30% से अधिक भारतीय किशोरों में अकादमिक दबाव के कारण चिंता और अवसाद पाया गया है।
अधिकारवादी (Authoritarian) पालन-पोषण शैली, जिसमें माता-पिता बच्चों पर अत्यधिक नियंत्रण रखते हैं और उनकी भावनाओं के प्रति कम संवेदनशील होते हैं, बच्चों में गुस्सा, चिंता, और सामाजिक भय पैदा कर सकती है। इसके विपरीत, अधिकारपूर्ण (Authoritative) पालन-पोषण शैली, जो स्पष्ट अपेक्षाओं के साथ-साथ प्यार और समर्थन प्रदान करती है, बच्चों में आत्मविश्वास और आत्म-नियंत्रण को बढ़ावा देती है। यह शैली बच्चों को निर्णय लेने और समस्याओं का समाधान स्वयं खोजने में सक्षम बनाती है, जिससे उनका समग्र विकास बेहतर होता है।
यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता अपने बच्चों की व्यक्तिगत क्षमताओं और गति को समझें और उनका सम्मान करें। पूर्णता पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, प्रगति का जश्न मनाना और उनके प्रयासों को महत्व देना आवश्यक है। यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करना, खुले संचार को प्रोत्साहित करना और भावनात्मक समर्थन प्रदान करना बच्चों के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।