भाषा और विचार: सैपिर-व्होर्फ परिकल्पना का प्रभाव

द्वारा संपादित: Vera Mo

भाषा केवल संचार का एक साधन नहीं है, बल्कि यह हमारे सोचने, महसूस करने और दुनिया को देखने के तरीके को भी गहराई से प्रभावित करती है। यह विचार सैपिर-व्होर्फ परिकल्पना का मूल है, जिसे भाषाई सापेक्षता के नाम से भी जाना जाता है। यह परिकल्पना बताती है कि किसी भाषा की संरचना और शब्दावली उसके बोलने वालों के विचारों और विश्वदृष्टि को आकार देती है।

इस सिद्धांत को 1930 के दशक में भाषाविद् एडवर्ड सैपिर और उनके छात्र बेंजामिन ली व्होर्फ ने विकसित किया था। उनका मानना था कि भाषा केवल विचारों को व्यक्त नहीं करती, बल्कि विचारों के स्वरूप को भी नियंत्रित करती है। व्होर्फ ने अवलोकन किया कि विशिष्ट शब्दावली लोगों की स्थितियों की व्याख्या को प्रभावित कर सकती है, जिससे विभिन्न परिणाम सामने आ सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ भाषाओं में रंगों के लिए अलग-अलग शब्द होते हैं, जो उनके बोलने वालों की रंग भेद करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इसी तरह, कुछ भाषाओं में समय को व्यक्त करने के तरीके अलग होते हैं, जिससे समय के प्रति उनकी धारणा भी भिन्न हो सकती है।

विज्ञान कथा साहित्य में सैपिर-व्होर्फ परिकल्पना का अक्सर अन्वेषण किया गया है। जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास '1984' में 'न्यूस्पीक' नामक भाषा का वर्णन है, जिसे विचारों को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सैमुअल आर. डेलानी के 'बेबीलोन-17' में एक ऐसी भाषा है जो धारणा को बदल सकती है और इसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। टेड चियांग की कहानी 'स्टोरी ऑफ योर लाइफ', जिस पर 'अराइवल' फिल्म आधारित है, यह दर्शाती है कि कैसे एक एलियन भाषा सीखने से गैर-रैखिक समय की धारणा संभव हो सकती है। ये कथाएँ भाषा और संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के बीच गहरे संबंध को उजागर करती हैं।

वर्तमान शोध भाषाई सापेक्षता की जांच जारी रखे हुए है। 'ALIGN: Word Association Learning for Cross-Cultural Generalization in Large Language Models' जैसे अध्ययन यह जांच रहे हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सांस्कृतिक रूप से विशिष्ट भाषा को कितनी अच्छी तरह समझ सकती है। यह दर्शाता है कि कैसे भाषा मॉडल भी प्रशिक्षण डेटा में मौजूद भाषाई और सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों को सीख सकते हैं, जिससे उनकी समझ और प्रतिक्रियाएं प्रभावित हो सकती हैं। यह शोध इस बात पर प्रकाश डालता है कि AI को विकसित करते समय भाषाई विविधता और सांस्कृतिक संदर्भों को समझना कितना महत्वपूर्ण है।

हालांकि शुरुआती व्याख्याओं ने भाषा और विचार के बीच एक निश्चित संबंध का सुझाव दिया था, वर्तमान शोध एक अधिक सूक्ष्म प्रभाव की ओर इशारा करता है। यह समझ अकादमिक अध्ययन और रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रेरित करती रहती है, यह स्वीकार करते हुए कि भाषा हमारे विश्व को देखने के तरीके को आकार देती है, लेकिन यह हमारे विचारों को पूरी तरह से निर्धारित नहीं करती। यह हमें याद दिलाता है कि प्रत्येक भाषा अपने साथ एक अनूठी विश्वदृष्टि लाती है, जो मानव अनुभव की समृद्धि और विविधता को दर्शाती है।

स्रोतों

  • Reactor

  • ALIGN: Word Association Learning for Cross-Cultural Generalization in Large Language Models

  • Babel-17

  • Linguistic Relativity

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