दुबई अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र (डीआईएफसी) ने 2024 के पहले छह महीनों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जो दुबई की अर्थव्यवस्था में इसके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है। केंद्र में सक्रिय कंपनियों की संख्या 6,153 तक पहुंच गई, जो वर्ष दर वर्ष 24% की वृद्धि है। नए पंजीकरणों की संख्या 820 रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24% अधिक है। फिनटेक और नवाचार क्षेत्र में कंपनियों की संख्या 33% बढ़कर 1,081 हो गई।
डीआईएफसी की यह वृद्धि भारत के व्यवसायों और निवेशकों के लिए नए अवसर प्रस्तुत करती है। भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच मजबूत आर्थिक संबंध हैं, जिसमें यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2025 में दोनों देशों के बीच व्यापार की मात्रा 85 बिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।
डीआईएफसी भारतीय निवेशकों के लिए कई आकर्षक लाभ प्रदान करता है, जिसमें कर-मुक्त वातावरण, भारत से निकटता और व्यापार-अनुकूल नीतियां शामिल हैं। डीआईएफसी में रियल एस्टेट, वित्तीय बाजार, व्यवसाय सेटअप और क्रिप्टोकरेंसी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के अवसर उपलब्ध हैं। भारतीय उद्यमी कम से कम 2 मिलियन एईडी के रियल एस्टेट, नवीन उद्योगों या उच्च आर्थिक प्रभाव वाले व्यवसायों में निवेश करके दुबई का गोल्डन वीजा प्राप्त कर सकते हैं।
डीआईएफसी, अपने अभिनव दृष्टिकोण और रणनीतिक स्थान के साथ, उन भारतीय कंपनियों के लिए एक आदर्श मंच है जो मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण एशिया में अपने कार्यों का विस्तार करना चाहते हैं। केंद्र पूंजी, प्रतिभा और ज्ञान तक पहुंच प्रदान करता है, जो प्रतिस्पर्धी वैश्विक बाजार में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय कंपनियां डीआईएफसी द्वारा बनाए गए अवसरों का लाभ उठाकर गतिशील वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बन सकती हैं और दुबई और भारत के आगे आर्थिक विकास में योगदान कर सकती हैं।