गुरुवार, 31 जुलाई, 2025 को, वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि देखी गई, जो संभावित आपूर्ति व्यवधानों के कारण थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी, जिससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ी।
सितंबर डिलीवरी के लिए ब्रेंट क्रूड तेल की कीमत 27 सेंट बढ़कर 73.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड की कीमत 37 सेंट बढ़कर 70.37 डॉलर प्रति बैरल हो गई।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान में देरी के कारण रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 100 प्रतिशत माध्यमिक शुल्क लगाने की धमकी दी थी। इसके अलावा, अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने ईरान से जुड़े 115 से अधिक व्यक्तियों, संस्थाओं और जहाजों पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की।
ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) के अनुसार, 25 जुलाई, 2025 तक अमेरिकी कच्चे तेल का भंडार 7.7 मिलियन बैरल बढ़कर 426.7 मिलियन बैरल हो गया, जिसका कारण निर्यात में कमी था। गैसोलीन का भंडार 2.7 मिलियन बैरल घटकर 228.4 मिलियन बैरल हो गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, तेल की कीमतों में वृद्धि से विमानन उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिससे हवाई यात्रा महंगी हो सकती है। एयरलाइंस को ईंधन अधिभार बढ़ाना पड़ सकता है, जिसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, परिवहन क्षेत्र में तेल की कीमतों में वृद्धि से माल ढुलाई की लागत भी बढ़ सकती है, जिससे उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। कई व्यवसाय अब ऊर्जा दक्षता में सुधार और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की खोज के लिए कदम उठा रहे हैं ताकि तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम किया जा सके।