12 अगस्त, 2025 को, रिज़र्व बैंक ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया (आरबीए) ने नकद दर में 0.25% की कटौती की घोषणा की, जिससे यह 3.6% हो गई। यह इस वर्ष की तीसरी दर में कटौती है, जो अप्रैल 2023 के बाद की सबसे कम दर है। आरबीए गवर्नर मिशेल बुलॉक ने संकेत दिया कि आर्थिक पूर्वानुमानों के आधार पर आगे भी दर में कटौती संभव है। इस कटौती के बावजूद, आरबीए ने देश की उत्पादकता को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त कीं। बैंक ने भविष्य की उत्पादकता वृद्धि के अपने पूर्वानुमान को लगभग 1% प्रति वर्ष से घटाकर 0.7% कर दिया है। यह संशोधन बताता है कि मुद्रास्फीति को बढ़ाए बिना प्राप्त की जा सकने वाली वेतन वृद्धि पहले की अपेक्षा कम है।
ट्रेजरी जिम चालमर्स ने उत्पादकता की चुनौती को "बहुत गंभीर चुनौती" बताया और कहा कि यह "हमारी आर्थिक रणनीति के केंद्र में" है। गवर्नर बुलॉक ने कहा कि जबकि आरबीए ब्याज दरों को प्रभावित करता है, उत्पादकता में गिरावट को दूर करना मुख्य रूप से सरकार की जिम्मेदारी है। आरबीए की उत्पादकता संबंधी चिंताओं ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है। द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड और द ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू जैसे प्रकाशनों ने बैंक की चिंताओं को उजागर किया है। आरबीए का यह निर्णय मौद्रिक नीति और उत्पादकता वृद्धि के बीच जटिल अंतर्संबंध को रेखांकित करता है, जो नीति निर्माताओं के लिए टिकाऊ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में चुनौतियों को दर्शाता है। विश्लेषकों का मानना है कि उत्पादकता में यह गिरावट देश की दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, 2023 के इंटरजेनरेशनल रिपोर्ट के अनुसार, यदि उत्पादकता वृद्धि दर में केवल 0.3% की वृद्धि होती, तो 2062-63 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.5% की वृद्धि हो सकती थी। वर्तमान में, ऑस्ट्रेलिया की उत्पादकता वृद्धि पिछले 60 वर्षों में सबसे धीमी है, जो आर्थिक विकास और जीवन स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। यह स्थिति सरकार पर आर्थिक सुधारों को लागू करने का दबाव बढ़ाती है ताकि उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सके और आर्थिक विकास को गति दी जा सके।