अंतरिक्ष अन्वेषण में ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए परमाणु ऊर्जा एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में उभर रही है। विशेष रूप से चंद्रमा पर मानव उपस्थिति को स्थिर करने के लिए, विश्वभर में विभिन्न देशों के अंतरिक्ष एजेंसियां और कंपनियां चंद्रमा पर परमाणु रिएक्टरों के विकास में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने चंद्रमा पर एक छोटे, बिजली उत्पन्न करने वाले परमाणु फिशन रिएक्टर के विकास के लिए Fission Surface Power (FSP) परियोजना शुरू की है। इस परियोजना के तहत, NASA ने 2022 में तीन कंपनियों—Lockheed Martin, Westinghouse, और IX (Intuitive Machines और X-Energy का संयुक्त उपक्रम)—को प्रारंभिक डिजाइन विकसित करने के लिए अनुबंधित किया। इन डिज़ाइनों में रिएक्टर, पावर कन्वर्ज़न, हीट रेजेक्शन, पावर मैनेजमेंट और वितरण प्रणालियाँ शामिल हैं, जो चंद्रमा की सतह पर कम से कम दस वर्षों तक मानव उपस्थिति को समर्थन देने के लिए आवश्यक हैं।
चीन और रूस भी चंद्रमा पर परमाणु ऊर्जा के उपयोग में सक्रिय हैं। चीन ने चंद्रमा पर एक परमाणु ऊर्जा इकाई तैनात करने की योजना बनाई है, जबकि रूस और चीन ने संयुक्त रूप से 2035 तक चंद्रमा पर एक परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित करने की घोषणा की है। इन प्रयासों का उद्देश्य चंद्रमा पर अनुसंधान और संसाधन निष्कर्षण के लिए विश्वसनीय ऊर्जा स्रोत प्रदान करना है।
हालांकि, परमाणु ऊर्जा के उपयोग से संबंधित सुरक्षा और पर्यावरणीय चिंताएँ भी हैं। अंतरिक्ष में परमाणु रिएक्टरों के सुरक्षित संचालन और रेडियोधर्मी कचरे के प्रबंधन के लिए सख्त प्रोटोकॉल और प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और उचित नियामक ढांचे के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है, जिससे चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।