आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने उच्च दक्षता वाली टेंडेम सौर सेल के विकास के साथ सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। यह नवीन तकनीक बिजली रूपांतरण दक्षता बढ़ाने और सौर बिजली की लागत को कम करने का वादा करती है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा अधिक सुलभ हो जाएगी।
टेंडेम सौर सेल शीर्ष परत में हैलाइड पेरोवस्काइट और निचली परत में सिलिकॉन का उपयोग करता है। यह डिज़ाइन सौर सेल को सूर्य के प्रकाश के व्यापक स्पेक्ट्रम को बिजली में परिवर्तित करने में सक्षम बनाता है, जिससे लगभग 30% की बिजली रूपांतरण दक्षता प्राप्त होती है, जो पारंपरिक सिलिकॉन-आधारित सौर कोशिकाओं की तुलना में काफी सुधार है।
यह पूरी तरह से भारतीय निर्मित तकनीक आसानी से उपलब्ध घरेलू कच्चे माल का उपयोग करती है। आईआईटी बॉम्बे, एआरटी-पीवी इंडिया के सहयोग से, दिसंबर 2027 तक वाणिज्यिक वेफर आकार के सौर सेल समाधानों का उत्पादन करने का लक्ष्य बना रहा है। इस पहल को महाराष्ट्र सरकार का समर्थन प्राप्त है और इससे भारत की नवीकरणीय ऊर्जा में आत्मनिर्भरता को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।