7 जुलाई, 2025 को, ब्राज़ील और चीन ने बायोसेनिक रेलवे कॉरिडोर के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इस परियोजना का उद्देश्य पेरू में चांके पोर्ट के माध्यम से ब्राज़ील को प्रशांत महासागर से जोड़ना है।
इस पहल का उद्देश्य एशिया में ब्राज़ील के निर्यात को सुविधाजनक बनाना है, जिससे आर्थिक और लॉजिस्टिक लाभ उत्पन्न होंगे। भारत के लिए, जो एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है, यह विकास नए अवसरों को खोल सकता है।
यह रेलवे चांके पोर्ट को ब्राज़ील में इल्हेउस पोर्ट से जोड़ेगा, जो लगभग 6,500 किलोमीटर की दूरी तय करेगा।
इससे एशिया में माल परिवहन का समय कम हो जाएगा और दक्षिण अमेरिकी एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा। भारत, जो 'सागरमाला' जैसी अपनी बंदरगाह-आधारित विकास परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इस परियोजना से सीख सकता है।
यह समझौता दोनों देशों के राष्ट्रपतियों द्वारा स्थापित एक रणनीतिक सहयोग एजेंडा का हिस्सा है।
कोस्को शिपिंग पोर्ट्स द्वारा संचालित चांके पोर्ट ने 2024 के अंत में परिचालन शुरू किया।
इसकी प्रारंभिक क्षमता लगभग 1 मिलियन कंटेनरों को संभालने की है, जिसे बढ़ाकर 1.5 मिलियन करने की योजना है।
यह रणनीतिक स्थान बड़े जहाजों को डॉक करने की अनुमति देगा, जिससे पेरू और चीन के बीच समुद्री परिवहन का समय 15 दिनों तक कम हो जाएगा।
यह समझौता व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्र में सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में एक बड़ा कदम है। भारत, जो 'एक्ट ईस्ट' नीति का अनुसरण कर रहा है, इस विकास का स्वागत करेगा क्योंकि यह एशिया और लैटिन अमेरिका के बीच संपर्क को बढ़ावा देता है।