आर्मेनिया ने हाल के वर्षों में अपनी विदेश नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो विशेष रूप से युवा पीढ़ी के लिए नए अवसरों और चुनौतियों का कारण बने हैं।
2025 में, आर्मेनिया ने यूरोपीय संघ (EU) के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए एक विधेयक पारित किया, जो EU सदस्यता की प्रक्रिया की शुरुआत को दर्शाता है। प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने इस कदम को देश की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में प्रस्तुत किया।
युवाओं के लिए अवसरों में शामिल हैं:
शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: EU के साथ बढ़ते संबंधों से आर्मेनियाई छात्रों और युवाओं को यूरोप में अध्ययन और सांस्कृतिक अनुभव प्राप्त करने के अवसर मिल सकते हैं।
आर्थिक विकास: विदेशी निवेश आकर्षित होने से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे युवा पीढ़ी की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
हालाँकि, इस बदलाव से कुछ चुनौतियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं:
सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: रूस के साथ संबंधों में तनाव से देश की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है, जिससे युवाओं में असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है।
सांस्कृतिक पहचान का संकट: पश्चिमी मूल्यों के प्रभाव से आर्मेनियाई संस्कृति और परंपराओं पर खतरा मंडरा सकता है, जिससे युवाओं में पहचान का संकट पैदा हो सकता है।
आर्मेनियाई युवाओं की राय इस बदलाव पर मिश्रित रही है। कुछ युवा इसे देश के विकास और समृद्धि के लिए एक अवसर मानते हैं, जबकि अन्य रूस के साथ संबंधों में तनाव और पश्चिमी मूल्यों के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
निष्कर्षतः, आर्मेनिया की विदेश नीति में यह बदलाव युवा पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह आवश्यक है कि सरकार युवाओं को इस बदलाव के बारे में जागरूक करे और उन्हें इसमें शामिल करे, ताकि वे देश के भविष्य को आकार देने में अपनी भूमिका निभा सकें।