कुआलालंपुर, मलेशिया - 7 अगस्त, 2025 को थाईलैंड और कंबोडिया ने कुआलालंपुर में एक ऐतिहासिक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे दोनों देशों के बीच हालिया सीमा झड़पों के बाद तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। यह समझौता जनरल बॉर्डर कमेटी की एक असाधारण बैठक के दौरान हुआ, जिसका उद्देश्य दोनों राष्ट्रों के बीच बढ़ते तनाव को कम करना था। इस समझौते में एक क्षेत्रीय निगरानी तंत्र भी शामिल है, जो अनुपालन सुनिश्चित करेगा और विश्वास बहाली में मदद करेगा। समझौते के अनुसार, पकड़े गए सैनिकों के साथ अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुसार व्यवहार किया जाएगा। दोनों देशों ने खुले संचार और द्विपक्षीय मुद्दों के समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
आसियान (ASEAN) के सदस्य देशों को युद्धविराम की निगरानी करने की अनुमति दी जाएगी, जो क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने इस समझौते को कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन का भी समर्थन प्राप्त था। यह मध्यस्थता विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों की पृष्ठभूमि में हुई थी, जिनकी जड़ें 20वीं सदी की शुरुआत में फ्रांको-सियामी संधियों में निहित हैं। 1962 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने प्रीह विहियर मंदिर पर कंबोडिया के संप्रभुता के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन सीमा के कुछ हिस्सों का सीमांकन अनसुलझा रहा, जिससे समय-समय पर तनाव बढ़ता रहा। वर्तमान समझौते ने 28 जुलाई, 2025 को हुए पिछले युद्धविराम को मजबूत किया है, जिसमें दोनों पक्षों ने सभी प्रकार के हथियारों के उपयोग को रोकने, नागरिकों पर हमलों से बचने और सीमा पर सैनिकों की तैनाती को स्थिर रखने पर सहमति व्यक्त की थी। हालांकि युद्धविराम वर्तमान में प्रभावी है, दोनों पक्षों द्वारा उल्लंघन के परस्पर विरोधी आरोप अभी भी सामने आ रहे हैं, जो स्थायी शांति के लिए निरंतर संवाद और विश्वास-निर्माण के उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।