सितंबर 2025 की शुरुआत में, रूस ने यूक्रेन के नागरिक बुनियादी ढांचे और ऊर्जा सुविधाओं को निशाना बनाते हुए बड़े पैमाने पर ड्रोन और मिसाइल हमले जारी रखे। इन हमलों में 500 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागी गईं, जिसके परिणामस्वरूप लगभग पांच लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। इन हमलों ने चेर्निहाइव और इवानो-फ्रैंकिव्स्क क्षेत्रों में ऊर्जा अवसंरचना को विशेष रूप से प्रभावित किया, जिससे हजारों घर बिजली से वंचित हो गए। ज़ापोरिज्जिया क्षेत्र में एक व्यक्ति की मौत की भी सूचना मिली थी।
यह सैन्य गतिविधियाँ ऐसे समय में हो रही हैं जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित समारोहों में भाग ले रहे थे। इस मुलाकात के दौरान, शी जिनपिंग ने शांति के महत्व पर जोर दिया, जबकि पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने भी इस अवसर पर एक साथ आकर अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया।
इन हमलों के जवाब में, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कूटनीतिक मोर्चे पर सक्रियता दिखाई। डेनमार्क में एक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद, उन्होंने फ्रांस का दौरा किया और उत्तरी यूरोप, बाल्टिक राज्यों और फ्रांस के नेताओं के साथ सैन्य सहायता प्राप्त करने और यूक्रेन की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बातचीत की। ज़ेलेंस्की ने रूस की नई सैन्य जमावड़े और हमलों की निरंतरता पर भी प्रकाश डाला, इन बढ़ी हुई गतिविधियों को पुतिन की चीन यात्रा से जोड़ा।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। नाटो और उसके सहयोगी रूस पर निर्यात प्रतिबंधों को मजबूत करने की योजना बना रहे हैं, हालांकि वे स्वीकार करते हैं कि तीसरे देशों के खिलाफ प्रतिबंध रूस की कार्रवाइयों को रोकने में एक कमजोर उपकरण हैं। चीन आधिकारिक तौर पर रूस को सैन्य सहायता प्रदान करने से इनकार करता है, लेकिन दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं सहित प्रौद्योगिकियों का निर्यात जारी रखता है, जो रूसी सैन्य मशीन तक पहुँचती हैं। 2024 में, चीन ने रूस को 4 बिलियन डॉलर से अधिक के दोहरे उपयोग वाले सामान निर्यात किए, जिसमें माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, नेविगेशन सिस्टम और गोला-बारूद के लिए आवश्यक रसायन शामिल थे। यह स्थिति पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, जो इन निर्यात के माध्यम से लगाए गए प्रतिबंधों के कमजोर होने की आशंका जता रहे हैं। इन जटिल अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बीच, क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को मजबूत करने की आवश्यकता स्पष्ट है।