ब्रिटेन ने फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की योजना की घोषणा की है, जो गाजा में युद्धविराम, संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता की अनुमति, और दीर्घकालिक शांति समझौते की दिशा में कदम उठाने पर निर्भर है।
प्रधान मंत्री कीर स्टारमर ने कहा कि मान्यता का उद्देश्य दो-राज्य समाधान को पुनर्जीवित करना है।
यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ़िलिस्तीन को मान्यता देने के फ़्रांस के घोषणा के बाद आया है।
इज़राइल के विदेश मंत्रालय ने इस कदम का विरोध करते हुए इसे हमास के लिए एक पुरस्कार बताया है।
फ़िलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले देशों में भारत भी शामिल है।
ब्रिटेन द्वारा फ़िलिस्तीन को मान्यता देने की योजना से क्षेत्र में एक नई शुरुआत की उम्मीद जगी है।
फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने घोषणा की है कि फ़्रांस सितंबर में औपचारिक रूप से फ़िलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला प्रमुख पश्चिमी देश बन जाएगा।
147 देशों ने फ़िलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी है।
इन देशों में मुख्य रूप से एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और अरब दुनिया से हैं।
इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है।
फ़िलिस्तीन को मान्यता देने से क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन इसके लिए सभी पक्षों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करना होगा।
फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के प्रमुख मोहम्मद अब्बास ने वेस्ट बैंक में फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का स्वागत किया है।
यूरोपीय संघ को इज़राइल सरकार को इस अपील पर सुनवाई के लिए प्रोत्साहित करना होगा।