31 जुलाई, 2025 को, इजरायली हवाई हमलों ने दक्षिणी लेबनान के कई स्थानों को निशाना बनाया, जो कथित तौर पर हिज़्बुल्लाह से संबद्ध थे। इन हमलों में चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए।
इन हमलों को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण वृद्धि के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल के हमलों का उद्देश्य हिज़्बुल्लाह को कमजोर करना और उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 का पालन करने के लिए मजबूर करना है, जो लेबनान के दक्षिण में हिज़्बुल्लाह की सशस्त्र उपस्थिति को प्रतिबंधित करता है।
हालांकि, हिज़्बुल्लाह ने निरस्त्रीकरण की मांगों को खारिज कर दिया है, यह तर्क देते हुए कि इजरायली आक्रमण से लेबनान की रक्षा के लिए उनके हथियार आवश्यक हैं। लेबनानी राष्ट्रपति जोसेफ औन ने हिज़्बुल्लाह से लेबनानी सेना को अपने हथियार सौंपने का आह्वान किया, लेकिन हिज़्बुल्लाह के नेताओं ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
इजरायल और लेबनान के बीच संघर्ष का एक लंबा और जटिल इतिहास रहा है, जिसमें कई युद्ध और संघर्ष हुए हैं। 2006 का संघर्ष एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 को अपनाया गया, जिसका उद्देश्य स्थायी युद्धविराम स्थापित करना था। इसके बावजूद, तनाव बना हुआ है, और सशस्त्र घटनाएं नियमित हैं।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तनाव को कम करने और इजरायल-लेबनान संघर्ष का स्थायी समाधान खोजने के उद्देश्य से राजनीतिक संवाद को फिर से शुरू करने का आह्वान कर रहा है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इजरायल और लेबनान के बीच संघर्ष का एक लंबा और जटिल इतिहास रहा है, जो क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति से गहराई से जुड़ा हुआ है।