हाल ही में पोलिश हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन की घुसपैठ की घटनाओं के जवाब में, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने अपने पूर्वी flank को मजबूत करने के लिए 'ईस्टर्न सेंट्री' नामक एक नए ऑपरेशन की शुरुआत की है। यह कदम गठबंधन के पूर्वी सदस्य देशों की सुरक्षा को बढ़ाने और किसी भी संभावित खतरे के प्रति अपनी तत्परता प्रदर्शित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। यह ऑपरेशन, जो आने वाले दिनों में शुरू होगा, डेनमार्क, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी सहित कई सदस्य देशों के हवाई और जमीनी संपत्तियों को एकीकृत करेगा।
पोलैंड ने अपनी क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा को खतरे में महसूस करते हुए, नाटो संधि के अनुच्छेद 4 का आह्वान किया। यह अनुच्छेद सदस्य देशों को किसी भी ऐसे खतरे के बारे में परामर्श करने का अधिकार देता है जो उनकी संप्रभुता या सुरक्षा को प्रभावित करता हो। नाटो के इतिहास में अनुच्छेद 4 का यह आठवां अवसर है, जो गठबंधन के भीतर त्वरित परामर्श और प्रतिक्रिया को सक्षम बनाता है। नाटो महासचिव, जेंस स्टोलटेनबर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि रूस की ओर से पूर्वी flank पर हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने की घटनाएं बढ़ रही हैं, और यह ऑपरेशन गठबंधन की रक्षात्मक मुद्रा को और मजबूत करेगा। उन्होंने इस घटना को 'लापरवाह और अस्वीकार्य' बताया, चाहे उसका इरादा कुछ भी हो।
'ईस्टर्न सेंट्री' ऑपरेशन को लचीला और अनुकूलनीय बनाया गया है, ताकि यह बाल्टिक राज्यों से लेकर रोमानिया और बुल्गारिया तक फैले पूरे पूर्वी flank को कवर कर सके। इस ऑपरेशन में उन्नत हवाई और जमीनी रक्षा प्रणालियों को शामिल किया जाएगा, साथ ही सदस्य देशों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को भी बढ़ाया जाएगा। डेनमार्क दो F-16 लड़ाकू विमान और एक एंटी-एयर वारफेयर फ्रिगेट, फ्रांस तीन राफेल लड़ाकू विमान, और जर्मनी चार यूरोफाइटर लड़ाकू विमानों का योगदान देगा। यह ऑपरेशन न केवल पोलैंड को आश्वासन प्रदान करेगा, बल्कि पूरे गठबंधन के लिए एक निवारक के रूप में भी कार्य करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन युद्ध का तेजी से विकास सैन्य सिद्धांतों को नया आकार दे रहा है और नाटो की कमजोरियों को उजागर कर रहा है, जिससे अनुकूलन की आवश्यकता बढ़ गई है। यूक्रेन युद्ध के अनुभव से पता चलता है कि ड्रोन, युद्ध के मैदान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उन्हें पारंपरिक सैन्य शक्ति के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है। नाटो को अपनी निवारक क्षमताओं को बनाए रखने के लिए अपनी रणनीतिक तत्परता, तकनीकी लाभ और परिचालन लचीलेपन को बढ़ाना होगा।
इस घटना का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव पड़ा है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी इस मामले पर चर्चा करने वाली है। यह स्थिति आधुनिक युद्ध में ड्रोन के बढ़ते महत्व और नाटो के लिए नई सुरक्षा चुनौतियों को उजागर करती है। नाटो का यह कदम इन उभरती हुई खतरों के प्रति गठबंधन की अनुकूलन क्षमता और एकजुटता को दर्शाता है, जो यूरोप की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।