लेबनान की सरकार ने 2025 के अंत तक हिजबुल्लाह को निरस्त्र करने की एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, जो अमेरिका और इज़राइल के बढ़ते दबाव के बीच देश की संप्रभुता को मजबूत करने का एक प्रयास है। यह योजना, जिसे अमेरिकी दूत टॉम बैरक ने प्रस्तुत किया है, लेबनान में राज्य के अधिकार को फिर से स्थापित करने के लिए एक बहु-चरणीय दृष्टिकोण प्रदान करती है, विशेष रूप से हथियारों के संबंध में।
योजना के अनुसार, लेबनान सरकार को 15 दिनों के भीतर एक फरमान जारी करना होगा, जिसमें 31 दिसंबर, 2025 तक हिजबुल्लाह के पूर्ण निरस्त्रीकरण की प्रतिबद्धता जताई जाएगी। इसके साथ ही, इज़राइल को भी अपनी जमीनी, हवाई और समुद्री सैन्य गतिविधियों को रोकना होगा। दूसरे चरण में, लेबनान को 60 दिनों के भीतर निरस्त्रीकरण योजना को लागू करना शुरू करना होगा, जिसमें लेबनानी सेना द्वारा एक विस्तृत तैनाती योजना को मंजूरी दी जाएगी। इस योजना में निरस्त्रीकरण के लक्ष्य निर्दिष्ट किए जाएंगे। समानांतर रूप से, इज़राइल दक्षिणी लेबनान में अपनी स्थिति से पीछे हटना शुरू करेगा और लेबनानी कैदियों को रिहा किया जाएगा। हालांकि, इस योजना को हिजबुल्लाह से कड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है। समूह ने इस प्रस्ताव को "गंभीर पाप" करार दिया है और इसे इज़राइल के हितों को पूरा करने वाला बताया है, जो लेबनान को बिना किसी निवारक के छोड़ देता है। हिजबुल्लाह ने स्पष्ट किया है कि जब तक इज़राइल लेबनान से पूरी तरह से पीछे नहीं हट जाता और अपनी हवाई हमलों को बंद नहीं कर देता, तब तक निरस्त्रीकरण पर कोई चर्चा नहीं होगी। इस असहमति के चलते, हिजबुल्लाह के मंत्रियों और उनके सहयोगियों ने कैबिनेट की बैठकों से वॉकआउट किया है, जिससे सरकार के भीतर तनाव बढ़ गया है। Amal आंदोलन, हिजबुल्लाह का एक प्रमुख सहयोगी, ने भी इस कदम की आलोचना की है।
लेबनानी सेना को अगस्त के अंत तक एक विस्तृत कार्यान्वयन योजना प्रस्तुत करने का कार्य सौंपा गया है। यह कदम देश के भीतर राजनीतिक और सांप्रदायिक विभाजन को देखते हुए एक नाजुक संतुलन की मांग करता है। विश्लेषकों का मानना है कि इस योजना की सफलता लेबनान की आंतरिक राजनीतिक इच्छाशक्ति और क्षेत्रीय शक्तियों के सहयोग पर निर्भर करेगी। नवंबर 2024 में हस्ताक्षरित युद्धविराम समझौते के बावजूद, इज़राइल द्वारा लेबनान पर लगातार किए जा रहे हवाई हमले इस प्रक्रिया को और जटिल बनाते हैं। यह पहल लेबनान के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करती है, जो देश को स्थिरता और संप्रभुता की ओर ले जाने का प्रयास कर रही है। हालांकि, हिजबुल्लाह के कड़े रुख और आंतरिक राजनीतिक मतभेदों के कारण यह मार्ग चुनौतियों से भरा है। लेबनान को न केवल बाहरी दबावों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उसे अपने भीतर एक ऐसा समाधान खोजना होगा जो राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करे। इस प्रक्रिया में, लेबनान की अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं, जहां विश्व बैंक ने 2025 में 4.7% जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, लेकिन वित्तीय प्रणाली की नाजुकता बनी हुई है। यह समय लेबनान के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने और एक स्थायी भविष्य की दिशा में बढ़ने का अवसर प्रस्तुत करता है।