जुलाई 2025 में हुए जापान के ऊपरी सदन चुनावों में, दूर-दक्षिणपंथी सैनसेतो पार्टी ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की, अपनी सीटों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि की। यह परिणाम जापानी राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जो भविष्य की नीतियों को प्रभावित कर सकता है।
सैनसेतो पार्टी का मंच सख्त आव्रजन नियंत्रण, आर्थिक राष्ट्रवाद और सामाजिक कल्याण खर्च में वृद्धि पर केंद्रित है, जो मतदाताओं के बीच लोकप्रिय हुआ। पार्टी के नेता सोहेई कामिया ने कर कटौती और आक्रामक राजकोषीय खर्च के माध्यम से घरेलू मांग को बढ़ावा देने का वादा किया है।
सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और उसके गठबंधन सहयोगी कोमीटो ने पहली बार ऊपरी सदन में अपना बहुमत खो दिया। इस चुनाव के परिणामों ने जापान में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ाया है, जिससे सरकार की कानून पारित करने की क्षमता प्रभावित हुई है। प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने गठबंधन की हार के बाद पद पर बने रहने की बात कही है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि उन्हें राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
यह घटनाक्रम देश में राष्ट्रवादी और लोकलुभावन आंदोलनों के बढ़ते आकर्षण को रेखांकित करता है। सैनसेतो की सफलता के पीछे कई कारण हैं, जिनमें आर्थिक दबाव और आव्रजन विरोधी भावना शामिल हैं। जापान में हाल के वर्षों में विदेशी निवासियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे कुछ लोगों में चिंता पैदा हो गई है।
इन कारकों ने सैनसेतो को चुनावों में महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त करने में मदद की।