ईरान के विदेश मंत्री, सैयद अब्बास अरागची ने यूरोपीय शक्तियों के साथ एक नए परमाणु समझौते पर बातचीत करने की तेहरान की तत्परता का संकेत दिया है। इस प्रस्तावित समझौते में यूरेनियम संवर्धन पर महत्वपूर्ण सीमाएं और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) द्वारा कठोर निरीक्षण शामिल होंगे, जिसके बदले में ईरान अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने की उम्मीद कर रहा है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब ईरान के भीतर से इजरायल के विनाश और परमाणु हथियार विकसित करने के इरादों की घोषणाएं भी सामने आ रही हैं, जो एक जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य को उजागर करता है।
7 सितंबर, 2025 को द गार्डियन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, अरागची ने कहा कि तेहरान फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी जैसे यूरोपीय देशों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। इसके बदले में, ईरान उन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने की उम्मीद कर रहा है जिन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 2015 के परमाणु समझौते से हटने के बाद फिर से लगाया गया था। अरागची ने यूरोपीय देशों के इस कदम को "कानूनी रूप से निराधार" और "राजनीतिक रूप से विनाशकारी" बताते हुए इसकी आलोचना की है, और कहा है कि यह कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 का उल्लंघन करता है। चीन और रूस ने भी यूरोपीय संघ के इस कदम का विरोध किया है, इसे "कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण" बताया है और ईरान के रुख का समर्थन किया है।
दूसरी ओर, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने ईरान से "कुछ दिनों के भीतर" परमाणु निरीक्षण फिर से शुरू करने के लिए एक समझौते पर पहुंचने का आग्रह किया है। ग्रॉसी ने चिंता व्यक्त की है कि जून 2025 में इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु स्थलों पर किए गए हमलों के बाद से ईरान के अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम भंडार की स्थिति के बारे में आईएईए के पास कोई अद्यतन जानकारी नहीं है। ईरान ने एक नया कानून पारित किया है जिसके तहत भविष्य के सभी निरीक्षणों के लिए ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से मंजूरी की आवश्यकता होगी। आईएईए के अनुसार, ईरान का 60% तक संवर्धित यूरेनियम का भंडार, जो हथियार-ग्रेड के करीब है, कई परमाणु हथियारों के लिए पर्याप्त हो सकता है यदि इसे और अधिक संवर्धित किया जाए। आईएईए के अनुसार, ईरान एकमात्र गैर-परमाणु-हथियार वाला देश है जो इस तरह की सामग्री का उत्पादन कर रहा है।
इस कूटनीतिक पेशकश के समानांतर, ईरान के भीतर से इजरायल राज्य को नष्ट करने और परमाणु हथियार विकसित करने के बयान भी सामने आए हैं। यह दोहरा रवैया ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं और क्षेत्रीय स्थिरता के बीच एक नाजुक संतुलन को दर्शाता है। जून 2025 में इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु सुविधाओं पर किए गए हमलों के बाद से स्थिति और भी जटिल हो गई है, जिसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को "वर्षों पीछे" धकेलने का दावा किया गया था।
यह स्थिति वैश्विक कूटनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ प्रस्तुत करती है। जहां एक ओर ईरान प्रतिबंधों में ढील के बदले परमाणु गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए तैयार दिख रहा है, वहीं दूसरी ओर उसकी क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाएं और परमाणु क्षमताएं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हुई हैं। आईएईए द्वारा निरीक्षणों की तत्काल बहाली की मांग और चीन व रूस जैसे देशों का यूरोपीय प्रतिबंधों का विरोध, इस जटिल समीकरण में और अधिक परतें जोड़ता है। इस नाजुक क्षण में, पारदर्शिता, सत्यापन और सभी पक्षों द्वारा कूटनीतिक समाधान की दिशा में वास्तविक प्रयास ही क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने की कुंजी हो सकते हैं।