अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) ने हाल ही में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा मानने वाले अपने 2009 के "एंडेंजर्मेंट फाइंडिंग" को पलटने की योजना की घोषणा की है। यह कदम मौजूदा जलवायु नियमों को कमजोर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। EPA के प्रशासक ली ज़ेल्डिन ने इस निर्णय को अमेरिकी ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
इस प्रस्ताव के बाद, पूर्व EPA प्रशासकों सहित आलोचकों ने चिंता जताई है कि निष्कर्ष को रद्द करने से प्रदूषण बढ़ सकता है। EPA का प्रस्ताव वर्तमान में व्हाइट हाउस प्रबंधन और बजट कार्यालय द्वारा समीक्षाधीन है। यह निर्णय ट्रम्प प्रशासन द्वारा शुरू किए गए एक व्यापक विनियमन कार्यक्रम का हिस्सा है।
भारत में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के नेतृत्व में, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति अपनाई गई है। इस रणनीति में नीतिगत सुधार, तकनीकी विकास और जनता की भागीदारी शामिल है। 'एक पेड़ माँ के नाम' जैसी पहल सामुदायिक वृक्षारोपण के माध्यम से हरित आवरण बढ़ाने पर केंद्रित है, जो भारत के पर्यावरण संरक्षण में समुदाय की भागीदारी और नागरिक जागरूकता को बढ़ावा देती है।
इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और बाघ अभयारण्यों सहित संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार, जैव विविधता बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में मदद कर रहा है। भारत ने 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। भारत का सक्रिय रूप से आर्द्रभूमि संरक्षण, जिसमें कई आर्द्रभूमियों को रामसर सूची में जोड़ा गया है, इसके अहम पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
भारत में सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है, जिससे ऊर्जा मिश्रण में गैर-जीवाश्म ईंधन का हिस्सा बढ़ा है। यह स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण, कार्बन उत्सर्जन को घटाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
EPA के फैसले को एक ऐसे अवसर के रूप में देखा जा सकता है जो नवीन समाधानों की खोज को बढ़ावा दे सकता है, जो आर्थिक और पारिस्थितिक दोनों पहलुओं को ध्यान में रखते हैं। सीमाओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, एक अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने वाले नए अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। प्रत्येक परिवर्तन वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में हमारी भूमिका की गहरी समझ और विकास की क्षमता लाता है।