यूनाइटेड किंगडम ने 2050 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए बायोमीथेन पर ध्यान केंद्रित किया है। बायोमीथेन, जो जैविक अपशिष्टों से उत्पन्न होता है, ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन में कमी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कृषि क्षेत्र में, बायोमीथेन उत्पादन के लिए किसानों के लिए कई अवसर उपलब्ध हैं। एनेरोबिक पाचन (एडी) प्रक्रिया के माध्यम से, कृषि अपशिष्टों जैसे कि खाद, खाद्य अपशिष्ट और फसल अवशेषों से बायोमीथेन उत्पन्न किया जा सकता है। यह प्रक्रिया न केवल ऊर्जा उत्पादन में मदद करती है, बल्कि उपोत्पाद के रूप में प्राप्त डाइजेस्टेट को उर्वरक के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है।
सरकार ने बायोमीथेन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। ग्रीन गैस सपोर्ट स्कीम (GGSS) के माध्यम से, एडी संयंत्रों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किए जाते हैं, जिससे बायोमीथेन उत्पादन को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, पर्यावरणीय भूमि प्रबंधन (ELM) योजना के तहत, किसानों को ऊर्जा फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है, जो बायोमीथेन उत्पादन में योगदान करते हैं।
हालांकि, बायोमीथेन उत्पादन में वृद्धि के लिए किसानों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें उच्च प्रारंभिक निवेश लागत, उपयुक्त बायोमास की उपलब्धता और बाजार की अनिश्चितता शामिल हैं। इन चुनौतियों को पार करने के लिए, सरकार और उद्योग को मिलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि किसानों के लिए बायोमीथेन उत्पादन एक व्यवहार्य और लाभदायक विकल्प बन सके।
कुल मिलाकर, बायोमीथेन उत्पादन न केवल यूके के नेट-जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है, बल्कि किसानों के लिए अतिरिक्त आय के स्रोत और कृषि क्षेत्र में स्थिरता बढ़ाने का अवसर भी प्रदान करता है।