ड्रेसडेन स्थित SpiNNcloud अपने न्यूरोमॉर्फिक चिप आर्किटेक्चर के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। यह तकनीक, जो मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली से प्रेरित है, जटिल गणनाओं को अत्यधिक ऊर्जा-कुशल तरीके से संसाधित करने में सक्षम बनाती है। SpiNNcloud का SpiNNaker2 सुपरकंप्यूटर, जो वर्तमान में चालू है, 150 से 180 मिलियन न्यूरॉन्स का अनुकरण करने की क्षमता रखता है, जो AI अनुप्रयोगों के लिए नए रास्ते खोल रहा है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां गहन गणना और ऊर्जा दक्षता सर्वोपरि है। न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग, जो मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली की नकल करती है, पारंपरिक कंप्यूटिंग की तुलना में काफी कम बिजली की खपत करती है। यह पारंपरिक वॉन न्यूमैन आर्किटेक्चर के विपरीत है, जहां मेमोरी और प्रोसेसिंग यूनिट अलग-अलग होते हैं, जिससे डेटा को स्थानांतरित करने में काफी ऊर्जा बर्बाद होती है। SpiNNcloud ने यूनिवर्सिटी ऑफ लाइपज़िग के साथ एक महत्वपूर्ण अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत वे दवा अनुसंधान के लिए दुनिया का सबसे बड़ा न्यूरोमॉर्फिक सुपरकंप्यूटर स्थापित करेंगे। यह प्रणाली 4,320 SpiNNaker2 चिप्स से सुसज्जित होगी और कम से कम 10.5 बिलियन न्यूरॉन्स का अनुकरण करेगी। इस विशाल क्षमता का उपयोग व्यक्तिगत चिकित्सा के विकास को गति देने के लिए किया जाएगा।
यह सहयोग दवा खोज प्रक्रिया को तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे अरबों अणुओं की स्क्रीनिंग कम समय में और पारंपरिक GPU-आधारित प्रणालियों की तुलना में काफी कम ऊर्जा खपत के साथ संभव हो सकेगी। यह नवाचार प्रोटीन फोल्डिंग सिमुलेशन को सक्षम करेगा, जो व्यक्तिगत चिकित्सा के लिए आवश्यक है। विशेषज्ञों का मानना है कि SpiNNcloud की यह प्रगति AI की दक्षता को बढ़ाने और नए अनुप्रयोगों के द्वार खोलने की क्षमता रखती है। यह तकनीक न केवल AI के क्षेत्र में क्रांति लाएगी, बल्कि ऊर्जा-कुशल कंप्यूटिंग के भविष्य को भी आकार देगी। SpiNNaker2 जैसे सिस्टम, जो मस्तिष्क की तरह काम करते हैं, जटिल समस्याओं को हल करने के लिए एक अधिक टिकाऊ और शक्तिशाली तरीका प्रदान करते हैं। यह नवाचार रोबोटिक्स, स्वास्थ्य सेवा और स्मार्ट शहरों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, जहां वास्तविक समय में डेटा प्रसंस्करण और कम ऊर्जा खपत महत्वपूर्ण हैं। AI की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए यह महत्वपूर्ण है, जिसके 2026 तक दोगुनी होने की उम्मीद है।