खाद्य उद्योग में प्राकृतिक स्वाद और पाक दक्षता की ओर रुझान
द्वारा संपादित: Olga Samsonova
खाद्य पदार्थों के स्वाद और पोषण को बढ़ाने के तरीकों में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा जा रहा है, जिसका केंद्र अब प्राकृतिक, स्वास्थ्यवर्धक और व्यावहारिक सामग्रियों पर है। यह परिवर्तन उपभोक्ताओं और पेशेवर रसोइयों दोनों के बीच स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है, जो कृत्रिम योजकों से दूरी बना रहे हैं। इस नए परिदृश्य में, न्यूट्रिशनल यीस्ट एक प्रमुख घटक के रूप में उभर रहा है, जो स्वाद और पोषण दोनों प्रदान करता है।
यह निष्क्रिय यीस्ट, जो सैकरोमाइसेस सेरेविसिया से प्राप्त होता है, कृत्रिम मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG) का एक प्राकृतिक विकल्प प्रस्तुत करता है, क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से उमामी स्वाद प्रदान करता है और बी विटामिन का एक समृद्ध स्रोत है। उदाहरण के लिए, फोर्टिफाइड न्यूट्रिशनल यीस्ट की केवल दो चम्मच (लगभग 5 ग्राम) में 3 ग्राम प्रोटीन और विटामिन बी12 की दैनिक आवश्यकता का 313% तक हो सकता है।
पाक कला के क्षेत्र में, दक्षता एक सर्वोपरि चिंता बनी हुई है, जिससे शेफ तैयारी की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर रहे हैं। इस दिशा में एक प्रमुख रणनीति आधार मसालों, जैसे कि लाल या सफेद पेस्ट, को थोक में तैयार करना है। इन तैयार बेस को एयरटाइट कंटेनरों में रेफ्रिजरेटर या फ्रीजर में संग्रहीत किया जाता है, जिससे उनकी शेल्फ लाइफ काफी बढ़ जाती है और दैनिक तैयारी का समय कम हो जाता है। यह थोक तैयारी की विधि, जो व्यावसायिक रसोई में आम है, भोजन की निरंतरता और त्वरित सेवा सुनिश्चित करती है। इसके अतिरिक्त, न्यूट्रिशनल यीस्ट स्वयं दो साल तक ठीक से संग्रहीत होने पर शेल्फ-स्टेबल रहता है, जो भंडारण की सुविधा को और बढ़ाता है।
प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों को सीज़न करने के लिए ड्राई रब का उपयोग एक व्यावहारिक नवाचार बना हुआ है, जो स्वाद को अंदर तक पहुंचाने की एक सिद्ध विधि है। यह प्रक्रिया ऑस्मोसिस के सिद्धांत पर निर्भर करती है, जहां नमक और अन्य सूखे मसाले मांस की सतह से नमी खींचते हैं, जिससे स्वाद के अणु गहराई तक प्रवेश करते हैं। यह विधि विशेष रूप से तब उपयोगी होती है जब प्रोटीन को तलने या ग्रिल करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह सतह को सूखा रखती है, जिससे एक बेहतर क्रस्ट या बनावट प्राप्त होती है। कुछ विशेषज्ञ बताते हैं कि नमक-आधारित रब का उपयोग मांस की नमी और प्रोटीन ब्रेकडाउन को प्रभावित करता है, जिससे स्वाद का अधिकतम अंतर्ग्रहण होता है।
प्राकृतिक मसालों की ओर यह व्यापक रुझान भारतीय रसोई के पारंपरिक मसालों के महत्व को भी रेखांकित करता है, जहां अदरक, हल्दी, जीरा और धनिया जैसे मसाले न केवल स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि औषधीय गुण भी प्रदान करते हैं। भारत, जो वैश्विक मसाला उत्पादन में लगभग 75% का योगदान देता है, मसालों की भूमि के रूप में जाना जाता है, और यहाँ के मसाले अपनी सुगंध और रंग के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं। आधुनिक उपभोक्ता अब ऐसे प्राकृतिक विकल्पों की तलाश कर रहे हैं जो कीटनाशकों और रसायनों से मुक्त हों, जैसा कि ऑर्गेनिक मसालों के बढ़ते चलन से स्पष्ट है। ये प्राकृतिक मसाले, जैसे कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन, पाचन तंत्र को मजबूत करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक माने जाते हैं, जो समग्र स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के वर्तमान रुझान के अनुरूप है।
पाक कला में दक्षता और स्वास्थ्य के बीच संतुलन साधने की यह प्रवृत्ति केवल सामग्री के चयन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि तैयारी की तकनीकों तक भी फैली हुई है। थोक में बेस तैयार करने की रणनीति, चाहे वह मसाला पेस्ट हो या ड्राई रब, आधुनिक रसोई की मांग है, जो उच्च गुणवत्ता वाले, प्राकृतिक स्वाद को बनाए रखते हुए समय की बचत करती है। यह दृष्टिकोण खाद्य उद्योग में एक परिपक्वता को दर्शाता है, जहाँ उपभोक्ता अब केवल स्वाद नहीं, बल्कि उत्पाद की संपूर्ण पोषण प्रोफ़ाइल और तैयारी की सरलता पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह परिवर्तन पाक नवाचार के लिए एक स्थायी मार्ग प्रशस्त करता है।
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स्रोतों
Liputan 6
Halodoc
Gemini
Gemini
Selera Pangan Interfood
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