बांग्लादेश टिकाऊ परिधान निर्माण में एक नेता के रूप में उभरा है, जिसमें बड़ी संख्या में LEED-प्रमाणित कारखाने हैं। हरित औद्योगीकरण के प्रति देश की प्रतिबद्धता पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के प्रयासों में स्पष्ट है।
"बांग्लादेश कंट्री रिपोर्ट" उद्योग डीकार्बोनाइजेशन रोडमैप के साथ संरेखण की क्षमता पर प्रकाश डालती है। हालांकि, रिपोर्ट में बुनियादी ढांचे की बाधाओं और ऊर्जा की कमी जैसी चुनौतियों की भी पहचान की गई है जो भविष्य के विकास को बाधित कर सकती हैं। भारत के कपड़ा उद्योग के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण सबक है।
सरकार औद्योगिक जल उपयोग पर शुल्क और पुनर्चक्रण के लिए प्रोत्साहन जैसे उपायों पर विचार कर रही है। परिधान क्षेत्र को कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है। फ्यूचर सप्लायर इनिशिएटिव जैसी पहल वित्तीय बाधाओं को दूर करने में मदद कर रही हैं।
इस क्षेत्र को ऊर्जा संकट सहित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उत्पादन बाधित हो रहा है। हरित आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए वैश्विक खरीदारों की मांग स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन के वित्तीय बोझ के बारे में चिंताएं बढ़ाती है, जिससे संभावित रूप से श्रमिकों की आजीविका प्रभावित होती है। भारत को भी इस चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
बुनियादी ढांचे को संबोधित करना, निवेश को सुरक्षित करना और श्रमिकों के लिए एक न्यायसंगत परिवर्तन सुनिश्चित करना 2030 तक डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों को इस दिशा में मिलकर काम करना होगा।