रूसी विज्ञान अकादमी के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (IKI RAS) के विशेषज्ञों ने सूर्य पर एक बड़े कोरोनल होल के विकास की सूचना दी है, जो पृथ्वी पर भू-चुंबकीय तूफानों का कारण बन सकता है। यह कोरोनल होल, जो पृथ्वी की ओर मुख वाली सूर्य की सतह पर बन रहा है, पिछले 48 घंटों में अपने आकार में 50% तक बढ़ गया है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस क्षेत्र से निकलने वाली सौर हवा (solar wind) सोमवार, 18 अगस्त, 2025 से तेज हो जाएगी। सामान्यतः सौर हवा की गति लगभग 400 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है, लेकिन इस घटना के कारण यह गति बढ़कर 800-900 किलोमीटर प्रति सेकंड तक पहुँच सकती है, जो सामान्य से दोगुनी से भी अधिक है। यह तीव्र सौर हवा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ परस्पर क्रिया करके भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न कर सकती है।
अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के सौर खगोल भौतिकी प्रयोगशाला के अनुसार, कोरोनल होल से निकलने वाली तेज और घनी सौर हवा पृथ्वी के भू-चुंबकीय वातावरण को प्रभावित कर सकती है। इस तरह की घटनाएं दुर्लभ होती हैं और वैज्ञानिक इन पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। पिछले दो महीनों में, पृथ्वी ने 30 घंटे से अधिक समय तक चलने वाले मध्यम स्तर (G2.0) के भू-चुंबकीय तूफान का अनुभव किया था, जो हाल के समय में सबसे शक्तिशाली तूफानों में से एक था। भू-चुंबकीय तूफान उपग्रहों, संचार प्रणालियों और बिजली ग्रिड के संचालन को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ये तूफान ध्रुवीय क्षेत्रों में दिखाई देने वाले अरोरा (उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवीय ज्योति) की तीव्रता को भी बढ़ा सकते हैं, जिससे वे भूमध्य रेखा के करीब के क्षेत्रों में भी दिखाई दे सकते हैं। नासा के अनुसार, सौर तूफान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल द्वारा सुरक्षित होने के कारण सीधे तौर पर मनुष्यों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन वे तकनीकी प्रणालियों के लिए व्यवधान पैदा कर सकते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि रूसी वैज्ञानिकों ने पहले भी 17 अगस्त, 2025 को पृथ्वी के पास से गुजरने वाले संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह 2025 PM के बारे में सूचित किया था, जो लगभग एक मिलियन किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। हालांकि, वर्तमान में सूर्य पर हो रही गतिविधि का सीधा संबंध भू-चुंबकीय तूफानों से है।