नासा का इंटरस्टेलर मैपिंग एंड एक्सेलेरेशन प्रोब (IMAP) मिशन 23 सितंबर, 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होने के लिए तैयार है। यह मिशन हमारे सौर मंडल के चारों ओर एक सुरक्षात्मक आवरण, हेलियोस्फीयर की जटिलताओं को समझने के लिए समर्पित है। प्रिंसटन विश्वविद्यालय के नेतृत्व में और जॉन्स हॉपकिंस एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी (APL) द्वारा प्रबंधित, IMAP मिशन सौर हवा और अंतरतारकीय माध्यम के बीच की सीमा का अध्ययन करेगा, जो पृथ्वी को ब्रह्मांडीय विकिरण से बचाने वाली एक अदृश्य ढाल है।
हेलियोस्फीयर, जो सूर्य से निकलने वाली सौर हवा द्वारा निर्मित एक विशाल बुलबुला है, हमारे पूरे सौर मंडल को घेरता है। यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक अवरोधक के रूप में कार्य करता है, जो हमें बाहरी अंतरिक्ष से आने वाले हानिकारक ब्रह्मांडीय किरणों से बचाता है। IMAP मिशन का मुख्य उद्देश्य इस हेलियोस्फीयर की सीमाओं का मानचित्रण करना और यह समझना है कि सौर हवा अंतरतारकीय अंतरिक्ष के साथ कैसे परस्पर क्रिया करती है। यह मिशन, नासा के 2008 के IBEX मिशन की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा प्रदान करेगा जो हेलियोस्फीयर की संरचना और गतिशीलता की हमारी समझ को बढ़ाएगा।
इस मिशन में स्वीडन के बर्न विश्वविद्यालय का भी महत्वपूर्ण योगदान है, जो IMAP-Lo उपकरण के लिए ऑप्टिकल डिज़ाइन सहित हार्डवेयर प्रदान कर रहा है। यह उपकरण निम्न-ऊर्जा कणों को मापेगा, जो हेलियोस्फीयर के व्यवहार को समझने में महत्वपूर्ण हैं। IMAP को पृथ्वी से सूर्य की ओर लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर स्थित लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) पर स्थापित किया जाएगा। यह रणनीतिक स्थान मिशन को सौर हवा और अंतरतारकीय अंतरिक्ष की निरंतर निगरानी करने की अनुमति देगा, जिससे अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त होगा।
अंतरिक्ष मौसम, जो सूर्य की गतिविधि से उत्पन्न होता है, हमारे आधुनिक तकनीकी बुनियादी ढांचे के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। सौर ज्वालाएं और कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) उपग्रह संचार, जीपीएस सिस्टम, बिजली ग्रिड और यहां तक कि विमानन को भी बाधित कर सकते हैं। IMAP मिशन से प्राप्त होने वाला डेटा इन अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं की भविष्यवाणी और शमन में सुधार करने में मदद करेगा। उदाहरण के लिए, L1 बिंदु से प्राप्त होने वाली प्रारंभिक चेतावनी अंतरिक्ष यात्रियों और पृथ्वी पर महत्वपूर्ण प्रणालियों को संभावित खतरों से बचाने में सहायक हो सकती है। यह शोध न केवल वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाएगा, बल्कि पृथ्वी पर हमारी तकनीकी प्रणालियों की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
IMAP मिशन एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें छह देशों के 25 से अधिक संस्थान शामिल हैं। यह सहयोगात्मक प्रयास सौर मंडल की सुरक्षात्मक प्रणालियों की हमारी समझ को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न विशेषज्ञताओं को एक साथ लाता है। इस मिशन के निष्कर्षों से अंतरिक्ष विज्ञान में महत्वपूर्ण प्रगति होने की उम्मीद है, जो ब्रह्मांडीय वातावरण को नियंत्रित करने वाली मौलिक प्रक्रियाओं में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।