शिकागो विश्वविद्यालय के प्रिट्ज़कर स्कूल ऑफ मॉलिक्यूलर इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने एक अभूतपूर्व खोज की है, जिसने क्वांटम प्रौद्योगिकी और जीव विज्ञान के बीच की खाई को पाट दिया है। उन्होंने एक जीवित कोशिका से प्राप्त प्रोटीन, एनहांस्ड येलो फ्लोरोसेंट प्रोटीन (EYFP) को एक कार्यात्मक क्वांटम बिट (qubit) में सफलतापूर्वक परिवर्तित कर दिया है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि इस धारणा को चुनौती देती है कि क्वांटम प्रभाव केवल अत्यंत निम्न तापमान पर ही संभव हैं, क्योंकि यह प्रयोग कमरे के तापमान पर किया गया था। EYFP, जिसे आमतौर पर कोशिकाओं के अवलोकन के लिए उपयोग किया जाता है, अब एक क्वांटम बिट के रूप में कार्य कर सकता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि EYFP क्वांटम सुपरपोजिशन और कोहेरेंस जैसे क्वांटम गुणों को प्रदर्शित करता है, जो एक जीवित कोशिका के जटिल वातावरण के भीतर भी बना रहता है। यह प्रोटीन एक मेटास्टेबल "ट्रिपलेट स्टेट" प्रदर्शित करता है, जिसके स्पिन गुणों को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे यह क्वांटम सूचना को संसाधित करने में सक्षम होता है। यूशिकागो के प्रोफेसर डेविड अवशलोम ने इस दृष्टिकोण को "जैविक प्रणालियों को ही क्विबिट में विकसित करने" के रूप में वर्णित किया है, जो पारंपरिक क्वांटम सेंसर को जैविक प्रणालियों में एकीकृत करने के बजाय एक मौलिक रूप से भिन्न मार्ग प्रदान करता है। इस क्षेत्र में पहले से ही हॉवर्ड विश्वविद्यालय के फिलिप कुरियन जैसे वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मार्च 2025 में प्रकाशित उनके शोध ने संकेत दिया था कि जीवित कोशिकाएं शास्त्रीय जैव रासायनिक सिग्नलिंग की तुलना में क्वांटम तंत्र के माध्यम से जानकारी को बहुत तेज़ी से संसाधित कर सकती हैं। कुरियन की क्वांटम बायोलॉजी लैब प्रोटीन संरचनाओं में क्वांटम सुपरपोजिशन के प्रमाण की जांच करती है, जो सूचना प्रसंस्करण की अभूतपूर्व गति का सुझाव देता है। उनकी टीम ने प्रोटीन फाइबर में "सिंगल-फोटॉन सुपररेडियंस" जैसे क्वांटम प्रभावों का भी अध्ययन किया है, जो दर्शाता है कि जैविक प्रणालियाँ स्वयं क्वांटम सूचना को कुशलतापूर्वक प्रबंधित कर सकती हैं।
यह सफलता क्वांटम सेंसर के विकास के लिए नए रास्ते खोलती है जो सीधे जैविक प्रणालियों के भीतर काम कर सकते हैं। ये सेंसर नैनोस्केल पर चुंबकीय क्षेत्र, विद्युत क्षेत्र, तापमान में उतार-चढ़ाव या रासायनिक परिवर्तनों जैसे इंट्रासेल्युलर मापदंडों का पता लगा सकते हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में, ये क्वांटम-सक्षम प्रोटीन नैनोमेडिसिन, रोग निदान और उपचार के तरीकों में क्रांति ला सकते हैं, जिससे कोशिकाओं के भीतर होने वाली प्रक्रियाओं की अभूतपूर्व सटीकता के साथ जांच की जा सकेगी। यह शोध आनुवंशिक रूप से एन्कोड किए जा सकने वाले क्वांटम सेंसर के निर्माण की संभावना को भी उजागर करता है, जो प्रकृति की अपनी विकास और स्व-संयोजन की शक्तियों का उपयोग करके क्वांटम प्रौद्योगिकियों के लिए बाधाओं को दूर कर सकता है।
यह खोज हमें जीवन की मौलिक प्रक्रियाओं की गहरी समझ की ओर ले जाती है। यह दर्शाता है कि कैसे प्रकृति ने स्वयं क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग करके जटिल प्रणालियों का निर्माण किया है। यह न केवल तकनीकी नवाचार के लिए एक मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि कैसे हम अपने आसपास की दुनिया को समझने के लिए अंतर्निहित सिद्धांतों का लाभ उठा सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा, कंप्यूटिंग और उससे आगे के क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। यह शोध हमें याद दिलाता है कि ज्ञान की खोज हमें उन संभावनाओं की ओर ले जाती है जो पहले अकल्पवनीय थीं, और यह मानव सरलता और प्रकृति की अंतर्निहित जटिलता का एक प्रमाण है।