एक ऐसे विश्व की कल्पना कीजिए जहाँ जानकारी को ऐसे तरीकों से संग्रहीत और पुनर्प्राप्त किया जा सकता है जिसकी हम आज कल्पना भी नहीं कर सकते। यह भविष्य हमारी सोच से भी करीब हो सकता है। जून 2025 में, इलिनोइस विश्वविद्यालय अर्बाना-शैंपेन के शोधकर्ताओं ने क्वांटम मेमोरी तकनीक में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की, जिससे उन्नत कंप्यूटिंग क्षमताओं के द्वार खुल गए।
दो दशकों से अधिक समय से, वैज्ञानिक क्वांटम प्रकाश भंडारण पर काम कर रहे हैं, एक ऐसी तकनीक जो फोटॉनों को पदार्थ पर मैप करने की अनुमति देती है। टीम ने NaEu(IO₃)₄ नामक एक दुर्लभ पृथ्वी सामग्री पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें यूरोपियम होता है। यह सामग्री विस्तारित अवधि के लिए क्वांटम जानकारी संग्रहीत करने के लिए विशेष रूप से आशाजनक है।
इलिनोइस टीम ने 800 नैनोसेकंड तक का भंडारण समय प्राप्त किया। यह व्यावहारिक क्वांटम मेमोरी सिस्टम विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सफलता इलिनोइस में क्वांटम सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनने की एक बड़ी पहल का हिस्सा है। भारत सरकार भी इस क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा दे रही है, जिससे भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग में सहयोग की संभावनाएं बढ़ेंगी।
मार्च 2024 में, गवर्नर जे.बी. प्रिट्जकर ने क्वांटम प्रौद्योगिकी में $500 मिलियन के निवेश की घोषणा की। इसमें अत्याधुनिक क्वांटम परिसर का विकास शामिल है। इलिनोइस क्वांटम और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स पार्क, जिसकी घोषणा जुलाई 2024 में की गई थी, क्वांटम कंप्यूटिंग और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स में अनुसंधान और विकास का केंद्र होगा। यह भारत के वैज्ञानिक संस्थानों और प्रौद्योगिकी पार्कों के समान है, जो अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
ये प्रगति कंप्यूटिंग और संबंधित क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है। क्वांटम जानकारी को संग्रहीत और हेरफेर करने की क्षमता से तेज, अधिक सुरक्षित संचार और चिकित्सा, सामग्री विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में सफलताएं मिल सकती हैं। इलिनोइस खुद को इस तकनीकी क्रांति के अग्रिम पंक्ति में स्थापित कर रहा है। भारत भी इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग के नए अवसर खुलेंगे।