Marathon Fusion, एक सैन फ्रांसिस्को स्थित स्टार्टअप, परमाणु संलयन ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार के लिए जाना जाता है। कंपनी ने हाल ही में एक नई तकनीक प्रस्तुत की है, जिसके माध्यम से संलयन प्रतिक्रियाओं के दौरान उत्पन्न न्यूट्रॉन का उपयोग करके पारा-198 को पारा-197 में परिवर्तित किया जा सकता है, जो फिर स्थिर सोना-197 में बदल जाता है।
इस प्रक्रिया के अनुसार, एक गीगावाट क्षमता वाला संलयन ऊर्जा संयंत्र प्रति वर्ष लगभग 5,000 किलोग्राम सोना उत्पन्न कर सकता है, जिससे संयंत्र की आय में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, इस सोने में थोड़ी रेडियोधर्मीता हो सकती है, जिसके लिए उपयोग से पहले उसे कुछ वर्षों तक संग्रहीत करना आवश्यक हो सकता है।
वर्तमान में, यह तकनीक सैद्धांतिक स्तर पर है और व्यावसायिक संलयन रिएक्टरों के विकास के साथ ही इसकी व्यावहारिकता का मूल्यांकन किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रक्रिया सफल होती है, तो भविष्य में संलयन संयंत्र न केवल ऊर्जा उत्पादन के स्रोत होंगे, बल्कि कीमती धातुओं के उत्पादन के केंद्र भी बन सकते हैं।
Marathon Fusion की यह पहल परमाणु संलयन ऊर्जा की क्षमता को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है, हालांकि इसकी व्यावहारिकता और आर्थिक व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।