गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय और मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पाया है कि मानव कोशिकाएँ अपने पर्यावरण को महसूस करने के लिए सुनने के समान तंत्र का उपयोग करती हैं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मॉडलिंग का उपयोग करते हुए, टीम ने पाया कि त्वचा कोशिकाएँ सुनने जैसे तंत्र का उपयोग करती हैं।
करंट बायोलॉजी में प्रकाशित यह अध्ययन, आनुवंशिक अनुसंधान, श्रवण अनुसंधान, सैद्धांतिक भौतिकी और छवि विश्लेषण को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ एकीकृत करता है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज है।
निष्कर्ष बताते हैं कि मानव श्रवण में उपयोग किए जाने वाले तंत्र मानव कोशिकाओं के कामकाज और आकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह खोज आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में वर्णित शरीर की आंतरिक क्रियाओं की समझ को और बढ़ा सकती है।
अध्ययन के निष्कर्ष सेलुलर प्रक्रियाओं की हमारी समझ को बढ़ा सकते हैं और संभावित रूप से मानव श्रवण में सुधार कर सकते हैं। यह उन लोगों के लिए आशा की किरण है जो सुनने की समस्याओं से जूझ रहे हैं।