वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के पहले अणु, हीलियम हाइड्राइड आयन (HeH⁺), की सफल पुनर्रचना की है, जो प्रारंभिक ब्रह्मांड की रासायनिक प्रक्रियाओं को समझने में महत्वपूर्ण है।
यह खोज क्रायोजेनिक स्टोरेज रिंग (CSR) का उपयोग करके की गई, जिसमें HeH⁺ आयनों को अत्यंत निम्न तापमान पर संचित किया गया और फिर भारी हाइड्रोजन के साथ टकराया गया।
परिणामस्वरूप, यह पाया गया कि HeH⁺ आयन प्रारंभिक ब्रह्मांड में आणविक हाइड्रोजन (H₂) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे, जो गैस बादलों को ठंडा करने और तारों के निर्माण के लिए आवश्यक है।
यह अध्ययन एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जो पहले के सिद्धांतों को चुनौती देता है और प्रारंभिक ब्रह्मांड की रासायनिक प्रक्रियाओं में HeH⁺ के अधिक महत्वपूर्ण योगदान का सुझाव देता है।
इस खोज से तारों के निर्माण और ब्रह्मांड के विकास की हमारी समझ में वृद्धि हुई है, और यह वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद कर सकती है कि पहले तारे और आकाशगंगाएँ कैसे बनीं।
इस अध्ययन के परिणामों से यह भी संकेत मिलता है कि HeH⁺ जैसे अणु प्रारंभिक ब्रह्मांड में तापमान को विनियमित करने में महत्वपूर्ण थे, जिससे तारों का निर्माण संभव हो सका।
इस खोज को विकास और समझ के अवसर के रूप में देखा जा सकता है, जो ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने और हमारे ज्ञान को बढ़ाने में सहायक है।