नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप और चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी ने मिलकर एक दुर्लभ प्रकार के ब्लैक होल की पहचान की है, जिसे एनजीसी 6099 एचएलएक्स-1 के नाम से जाना जाता है। यह उज्ज्वल एक्स-रे स्रोत एक विशाल अंडाकार आकाशगंगा के बाहरी क्षेत्र में स्थित है।
हबल ने 1990 में यह खोज की थी कि ब्रह्मांड में अधिकांश आकाशगंगाओं के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल होते हैं, जिनका द्रव्यमान सूर्य के लाखों या अरबों गुना होता है। इसके अलावा, आकाशगंगाओं में छोटे ब्लैक होल भी होते हैं, जिनका द्रव्यमान सूर्य के 100 गुना से कम होता है, जो विशाल सितारों के जीवन के अंत में बनते हैं।
मध्यवर्ती-द्रव्यमान ब्लैक होल (IMBHs) का द्रव्यमान सूर्य के कुछ सौ से लेकर कुछ लाख गुना तक होता है। ये ब्लैक होल दुर्लभ होते हैं और अक्सर कम सक्रिय होते हैं, जिससे इनका पता लगाना कठिन होता है। जब ये कभी-कभी किसी सितारे को निगलते हैं, तो एक विशाल विकिरण उत्सर्जित होता है, जिसे टाइडल डिसरप्शन इवेंट कहा जाता है।
एनजीसी 6099 एचएलएक्स-1 की पहचान चंद्रा द्वारा 2009 में की गई थी, और इसके विकास का अनुसरण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक्सएमएम-न्यूटन ऑब्जर्वेटरी द्वारा किया गया था। एक्स-रे उत्सर्जन में 3 मिलियन डिग्री के तापमान का संकेत मिलता है, जो टाइडल डिसरप्शन इवेंट के अनुरूप है। हबल ने इसके चारों ओर एक छोटे सितारी समूह की उपस्थिति भी पाई, जो ब्लैक होल के लिए सामग्री का स्रोत प्रदान कर सकता है।
यह खोज IMBHs के गठन और विकास पर नई रोशनी डालती है, और तारकीय-द्रव्यमान और सुपरमैसिव ब्लैक होल के बीच की खाई को पाटने में मदद करती है।